Bhagalpur News:जबरन गर्भपात के बाद फोन पर दिया तलाक, पीड़िता को न्याय दिलाने एसएसपी के पास पहुंचे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण एण्ड एन्टी करप्शन ब्यूरो भारत के कार्यकर्ता
ग्राम समाचार, भागलपुर। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2019 में तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित कर दिये जाने और इसके सख्ती से पालन कराने के लिए जारी किए गए दिशा निर्देश के बावजूद भी मुस्लिम महिलाओं पर तलाक के नाम अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं। तीन तलाक आज भी धड़ल्ले से जारी है। इसका नतीजा है कि कानून से बेखौफ आरोपियों का मनोबल बढ़ता जा रहा और वह पीड़ित पक्ष पर अपना दबाब बढ़ाता जा रहा है। ऐसा ही एक मामला भागलपुर के कहलगांव अनुमंडल क्षेत्र के एनटीपीसी थाना ग्राम भदेर की रहने वाली मजहबी खातून का है। जिसे उसके पति मोइन अंसारी और ससुराल वालों ने पहले दहेज के लिए प्रताड़ित किया और जब मांग पूरी नही की गई तो शराबी पति ने मजहबी को मोबाइल पर ही तलाक दे दिया और दूसरी शादी करने की धमकी दे दी। यातना का दौर यहीं खत्म नहीं हुआ। पीड़िता ने पति और ससुराल पक्ष पर जबरन गर्भपात कराने का भी आरोप लगाया है और इसकी शिकायत लेकर अपने थाना गयी और थाने से शिकायत नहीं लिए जाने पर जिले के रेंज डीआईजी सुजीत कुमार से मिली और उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी। डीआईजी ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन के लिए त्वरित कार्रवाई के लिए पीड़िता को तत्कालीन एसएसपी आशीष भारती के पास भेज दिया। लेकिन नतीजा 2 माह बीतने के बाद भी पीड़िता को ना थाने से मदद मिली और न ही कोर्ट के निर्देशों का कोई अनुपालन ही हो पाया। अब बेखौफ पति और ससुराल वालों द्वारा पीड़िता और उसके परिजनों को शिकायत वापस लेने के लिये धमकियां मिल रही। थक हारकर आज फिर वह 2 माह बाद हिम्मत जुटाकर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण एण्ड एन्टी करप्शन ब्यूरो "भारत" के रवि कुमार जिला अध्यक्ष बिहार जनरल ब्रिगेड, महिला अध्यक्ष अमिता कौशिक और महिला महासचिव अनिता कौशिक के पास पहुंच गुहार लगाई। टीम द्वारा पीड़िता को साथ लेकर भागलपुर एसएसपी निताशा गुड़िया से मुलाकात की गई और 2 माह से लंबित पड़े मामले से अवगत कराया गया। जिसके बाद एसएसपी ने कार्रवाई का भरोसा दिलाते हुए पीड़िता को महिला विंग भेज दिया। बड़ा सवाल है कि तीन तलाक का जिक्र ना तो कुरान में ना ही हदीस में है। यहां भी तीन तलाक को गैर इस्लामिक बताया गया है, जबकि 2019 में विधेयक पास होने के बाद कानून भी बन गया, जिसमें तीन तलाक बोलना भी अपराध माना जाता है। बावजूद आज भी महिलाओं पर प्रताड़ना जारी है और इसे सार्थक कराने वाले अधिकारियों की अनदेखी महिलाओं की जलालत को और बढ़ा रही है।
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