25 जुलाई को जारी फाइनल रिजल्ट में मुन्ना सोरेन ने 262वां रैंक हासिल कर अपने पिता विक्रम सोरेन और मां मक्कू मरांडी के सपनों को साकार कर दिया। मां सरकारी स्कूल की टीचर रह चुकी हैं और अब रिटायर्ड हैं, जबकि पिता गांव के ग्राम प्रधान हैं और इस समय अस्वस्थ हैं।
मुन्ना बताते हैं कि प्रशासनिक सेवा में जाने की प्रेरणा मुझे अपने पिता से मिला। मुन्ना के पिता हमेशा चाहते थे कि उनका बेटा पढ़-लिखकर कुछ बड़ा बने। उनका जिद ही मुन्ना के लिए प्रेरणा बना। मुन्ना सोरेन की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि गोड्डा और पूरे झारखंड के युवाओं के लिए प्रेरणा है यह साबित करता है कि मेहनत, लगन और संकल्प से गांव का बेटा भी प्रशासनिक सेवा की ऊंचाइयों को छू सकता है और अब वे बड़े भाई संग समाज की सेवा की नई कहानी लिखने को तैयार हैं।
डीएसपी क्या करते हैं
डीएसपी वह अधिकारी होता है जिसके कंधे पर चांदी के सितारे होते हैं। उसके अधीन चार से पांच थानाक्षेत्रों का कार्यक्षेत्र होता है. यहां होने वाली पुलिस संबंधी हर गतिविधि का वह सुपरवाइजरी अधिकारी होता है।
जिले के पुलिस महकमे में एसएसपी या एसपी के बाद डीएसपी यानी डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस एक अहम पद माना जाता है। इस अधिकारी के अधीन चार से लेकर पांच थानों का क्षेत्र आता है जिनमें होने वाली हर गतिविधि की निगरानी या सुपरविजन इनकी जिम्मेदारी है।
इन परीक्षाओं को पास कर बन सकते हैं डीएसपी
डीएसपी दो तरह से बना जा सकता है पहला तरीका है संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी की परीक्षा पास करके जो युवा आईपीएस सेवा को चुनते हैं, उन्हें तकरीबन साल भर फील्ड में बतौर सर्किल प्रभारी काम करना होता है हालांकि तब उन्हें डीएसपी की बजाय एएसपी कहा जाता है लेकिन होते वह समकक्ष ही हैं। वहीं, राज्य की सिविल सेवा परीक्षा के जरिये भी सीधे डीएसपी बना जा सकता है।


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