ग्राम समाचार, भागलपुर। राजधानी पटना के अंजुमन इस्लामिया हॉल में सुन्नी वक्फ बोर्ड बिहार के तत्वावधान में तीन दिवसीय जलसा-ए-सीरतुन्नबी और पुरस्कार वितरण बड़े ही धूमधाम और गरिमा के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में पटना शहर, आसपास के जिलों तथा बिहार के विभिन्न दारुल उलूमों और स्कूलों के हजारों छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह कार्यक्रम तीन दिनों तक चला। जिसमें विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। भाषण प्रतियोगिता, कुरआन तिलावत, लेख लेखन, अज़ान, नात-ए-पाक और अन्य धार्मिक एवं शैक्षिक कार्यक्रमों में सैकड़ों बच्चों और बच्चियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। पूरा माहौल एक सुखद, आध्यात्मिक, धार्मिक और शैक्षिक वातावरण में सराबोर रहा। नमाज-ए-मगरिब के बाद सीरत कॉन्फ्रेंस के शीर्षक से समापन सत्र हुआ। जिसमें मशहूर उलेमा-ए-किराम, बुजुर्ग मशायख और प्रख्यात ख़ानक़ाहों के सज्जादा नशीनों ने शिरकत कर जलसे को ऐतिहासिक सफलता प्रदान की। इस अवसर पर ख़ानक़ाह-ए-मुअज़्ज़म बिहार शरीफ के सज्जादा नशीन सैयद सैफुद्दीन फिर्दौसी, ख़ानक़ाह पीर दमड़िया शाह खलीफ़ा बाग भागलपुर के सज्जादा नशीन सैयद शाह फ़ख़रे आलम हसन साहब, ख़ानक़ाह-ए-मुनअमिया के सज्जादा नशीन हज़रत मौलाना सैयद शाह शमीमुद्दीन अहमद मुनअमी और मुफ़्ती हसन रज़ा (इदारा-ए-शरीआ) समेत कई अन्य प्रमुख उलेमा-ए-किराम ने तक़रीर पेश की। उलेमा-ए-किराम ने अपने बयानों में पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद के सीरत के विभिन्न पहलुओं पर रौशनी डालते हुए नौजवान पीढ़ी को नबवी तालीमात, नबवी अख़लाक़ और इस्लाम के सार्वभौमिक संदेश की ओर ध्यान दिलाया। वक्ताओं ने आधुनिक दौर की चुनौतियों के संदर्भ में मिल्लत के नौजवानों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करते हुए उनके हौसले बुलंद किए और व्यावहारिक जीवन में नबवी तालीमात पर अमल करने की हिदायत दी। अल्लाह के फ़ज़्ल व करम से यह जलसा अपने उद्देश्यों में कामयाब और बबरकत साबित हुआ तथा एक यादगार ऐतिहासिक कार्यक्रम के रूप में प्रतिभागियों के दिलों पर गहरा असर छोड़ गया।

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