ग्राम समाचार न्यूज : रेवाड़ी - जम्मू कश्मीर के पूर्व महाराजा हरि सिंह की जयंती पर 23 सितंबर का राजकीय अवकाश का अध्यादेश घाटी में सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए सराहनीय कदम है । रेजांगला शौर्य समिति सरकार के इस कदम का स्वागत करती है ।
हरियाणा प्रदेश में भी 23 सितंबर को वीर एवं शहीद दिवस का राजकीय अवकाश रहता है । 1857 के स्वाधीनता संग्राम के शहीदों व महानायकों को उस दिन प्रदेश भर में कार्यक्रम आयोजित कर श्रद्धा पूर्वक याद किया जाता है ।
समिति के संस्थापक महासचिव राव नरेश चौहान राष्ट्रपूत ने याद दिलाया कि 15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने के बाद जम्मू कश्मीर रियासत ने भारत में विलय ना करके अपना स्वतंत्र अस्तित्व कायम रखा । 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी कबीलाई घुसपैठियों ने श्रीनगर पर हमला कर दिया । तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई और 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर राज्य को भारत राष्ट्र में शामिल किए जाने वाले दस्तावेज पर अपने हस्ताक्षर कर दिए । 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय सेना की तीन कंपनियां हवाई मार्ग से फौरन श्रीनगर उतारी गई और मोर्चे पर डट गईं । लगातार छह महीने भारतीय सेना ने कबीलाई घुसपैठियों का डटकर मुकाबला किया और उन्हें खदेड़ कर जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाई ।
4 कुमाऊं बटालियन की डी कंपनी श्रीनगर हवाई अड्डे के समीप बड़गाम में मेजर सोमनाथ शर्मा के नेतृत्व में तैनात की गई । अपने से 7 गुना अधिक संख्या में आए घुसपैठियों को मेजर शर्मा के नेतृत्व में अहीरवाल के रणबांकुरों ने मार कर भगा दिया । 3 नवंबर 1947 को बड़गाम ऑपरेशन में 200 घुसपैठियों को मारकर मेजर सोमनाथ शर्मा, एक जेसीओ व कंपनी के 20 जवान शहीद हो गए । मेजर सोमनाथ शर्मा को उनकी उत्कृष्ट नेतृत्व व बहादुरी के लिए देश का पहला सर्वोच्च वीरता पदक परमवीर चक्र मरणोपरांत प्रदान किया गया । 1947 - 48 के इस युद्ध में हरियाणा के 13 रणबांकुरों को वीर चक्र और 7 शूरमाओं को महावीर चक्र से अलंकृत किया गया ।
समिति महासचिव ने उपस्थित राज्यपाल को प्रेषित मेल में जम्मू कश्मीर सरकार व आवाम से मांग की है कि 23 सितंबर को महाराजा हरि सिंह की जयंती अवसर पर 1947 - 48 युद्ध में घाटी को बचाने वाले भारतीय सेना के शूरमाओं व शहीदों को भी श्रद्धा पूर्वक याद करें ।
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