युवा लेखक व विचारक और "B15 B फोर्थ फ्लोर" जैसे उपन्यास के लेखक और "मां हिंदी" जैसी कालजयी पुस्तक को लिखने वाले संजीव कुमार गंगवार ने अब फिल्म निर्देशक और कलाकार गुरुदत्त के लिए भारत सरकार से मरणोपरांत भारत रत्न की मांग की है। उनका कहना है कि लगभग 39 वर्ष के छोटे से जीवन में गुरुदत्त की उपलब्धियां गौरवशाली हैं। प्यासा , कागज़ के फूल व साहिब बीवी और गुलाम जैसी फिल्में रचनात्मकता के शिखर पर पहुंचकर ही बनाई जा सकती हैं। उन्होंने उनकी इन तीनों फिल्मों पर वर्षों से व्यापक रिसर्च किया है और जल्द ही उनका यह रिसर्च दुनिया के सामने भी होगा। संजीव का मानना है कि कला के क्षेत्र में गुरुदत्त को भारत रत्न बहुत पहले ही मिल जाना चाहिए था। ज्ञातव्य रहे कि संजीव जी युवा लेखक हैं। अब तक उनकी 23 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। साझा काव्य संग्रह " मशाल " में भी उन्होंने कविताएं लिखी हैं और एक अंतर्राष्ट्रीय व्यंग्य संग्रह " सदी के 251 श्रेष्ठ व्यंग्यकार " का वे हिस्सा रह चुके हैं। सैकड़ों लेख , कविताएं , गजलें देश के विभिन्न राज्यों की पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने लगभग 10 वर्ष तक क्रिकेट टुडे पत्रिका के लिए क्रिकेट समीक्षक का कार्य भी किया है।
लेखन में उनका अनुभव बहुत विराट है। अब वे गुरुदत्त के कार्य पर व्यापक चर्चा के पक्षधर हैं। इसके लिए उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी , राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद , गृह मंत्री श्री अमित शाह और एच आर डी मिनिस्टर श्री धर्मेन्द्र प्रधान को लिखा है। उन्होंने अपील की है कि गुरुदत्त के कार्य का सही मूल्यांकन करने पर हम पाएंगे कि वे निश्चित रूप से कला के क्षेत्र में भारत रत्न के हकदार हैं।
ग्राम समाचार
गोड्डा
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