Bhagalpur news:आजादी के सपने आजादी के मूल्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
ग्राम समाचार, भागलपुर। संघर्ष वाहिनी समन्वय समिति की ओर से आजादी के 75 वर्ष पर "आजादी के सपने आजादी के मूल्य" विषय पर एक होटल में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ प्रो योगेंद्र ने तथा संचालन ललन ने किया। विषय प्रवेश करते हुए झारखण्ड के समाजकर्मी घनश्याम ने अपनी बात में कहा कि आजादी के मूल्य जिसे देश के प्रथम सेनानी तिलका मांझी ने जिस प्रकृति सहचरी आजादी का सपना देखा था। उस सपने और मूल्यों की रक्षा की जरुरत है। संस्कृतिकर्मी उदय ने कहा कि सही मायने में स्वतंत्रता आंदोलन से ही आधुनिक भारत का इतिहास शुरू होता है। आज जो राजनीती चल रही है वो आजादी आंदोलन के नायकों और उनके मूल्यों को ख़त्म करने की कोशिश हो रही है, ताकि देश के समतावादी, धर्मनिरपेक्ष समाजवादी मूल्यों को समाप्त किया जा सके। भारत में राष्ट्रवाद का उदय देश के आजादी आंदोलन से हुआ। ज़ब गाँधी का इस आजादी के आंदोलन में प्रादुर्भाव हुआ तब उन्होंने उसे जनआंदोलन बना दिया। देश के हर समाज कि भागीदारी सुनिश्चित हुई। आजादी आंदोलन में अघोषित रूप से यह माना गया कि संसाधनों पर जनता का अधिकार होगा। आजादी का सपना था समाजवाद, विविधतापूर्ण संस्कृति, धर्मनिरपेक्षता। झारखण्ड के रामचंद्र मरांडी ने आदिवासियों कि अस्मिता, उनका जंगल, प्राकृतिक संसाधनों पर उनके अधिकार की बात करते हुए कहा कि हमारी धरती, जमीन जंगल को बचाये रखना और उसे भावी पीढ़ी को अनवरत सुरक्षित सौंपाना आजादी के मूल्य बने। इसलिए हजारों आदिवासियों, महिलाओं ने इनकी रक्षा हेतु सहादत दी। आम लोगों के हाथों में प्राकृतिक संसाधनों कि बागडोर बनी रहे। कारपोरेट, पूंजीपतियों के प्राकृतिक दोहन पर रोक हमारे आजादी के मूल्य हैं। वर्चस्ववाद दूसरे के हक और आजादी को ख़त्म करता है। सबके लिए बराबर कि आजादी बचे इसके लिए हमें लड़ने की जरूरत है। देवज्योति मुख़र्जी ने बदलाव की स्वतंत्र विचार लाने की जरुरत पर बल दिया। गया से आये करू भाई ने कहा कि हमें आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने को साकार करना था, गरीबों व पिछड़ों का भी भारत बनाना था पर नहीं बना। वारिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता रामशरण ने कहा कि आजादी का एक ही मूल्य है कि कोई भी बिना भेद भाव के अपने अभिब्यक्ति और विकास कर सके। गाँधी जी का सपना था कि आजादी के बाद सबकी सरकार होगी। आज राजनीति ने हमारे समाज को तोडना शुरू कर दिया है। व्यक्ति की आजादी समूह की आजादी बननी चाहिए। उड़ीसा के पूर्व विधायक क्षितिज मोहन ने कहा कि हमने राजनैतिक आजादी तो ले ली पर उसके बाद हमें जो आजादी प्राप्त करनी थी वह नहीं कर पाए। अध्याक्षीय वक्तव्य रखते हुए डॉ योगेंद्र ने कहा कि आज नौजवान पीढ़ी को अराजनैतिक बनाने की कोशिश हो रही है। जबकि नौजवानों को राजनीति की समझ होनी अत्यावश्यक है। आजादी के केवल वही नायक नहीं है जिन्हें हम जानते हैं। हमें अपने आस पास आजादी के जिससे नौजवान प्रेरणा पा सकें। इस अवसर पर बारी पदा उड़ीसा के भूत पूर्व विधायक किशोर दास, क्षितिन्द्र मोहन,जमशेदपुर के मंथन, कारु भाई, कौशल गणेश आजाद, सिंहभूम से कुमार चंद मार्डी, मधुपुर से घनश्याम, देवज्योति मुखर्जी, एनूल होदा, अर्जुन शर्मा, हजारी बाग के अरुण आनंद आदि ने भी अपनी बात रखी। इस अवसर पर राम पूजन, बागेश्वर बागी, ललन, नदीम, दाऊद अली, अरविंद कुमार रामा, कौशल गणेश आजाद, विष्णु धारी सुमन, मोहम्मद ताहा हाफिज, इंतखाब अजीज, राहुल, मनोज कुमार आदि मौजूद थे।
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