प्रदेश की मंडियों में 01 अप्रैल से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेंहू की सरकारी खरीद का काम जारी है। मंडी में रबी की फसलों विशेषकर गेंहू और सरसों की आवक तेज हो गई है। समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद प्रक्रिया चलते हुए दस दिन हो गए है। हालाँकि अच्छे भाव मिलने के कारण सरसों ओपन मार्केट में बिक रही है। मंडियों में अभी तक 18 लाख टन गेंहू की आवक हो चुकी है जिसमे 12 लाख टन गेंहू की खरीद हो चुकी है। बात करें रेवाड़ी की तो यहाँ भी तीनो मंडियों में गेंहू की सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीद जारी है हर रोज़ गेंहू की बम्पर आवक हो रही है बड़ी संख्या में किसान मंडियों में पहुँच रहे है जिस कारण मंडी में जाम के हालात बन रहे है। बात करें दस दिनों में गेंहू की खरीद की तो अभी तक साढ़े तीन लाख गेंहू की आवक रेवाड़ी की तीनो मंडियों क्रमशः रेवाड़ी, बावल और कोसली की मंडियों में हो चुकी है। शनिवार को भी गेंहू की खरीद जारी रही और 45 हजार क्विंटल से अधिक गेंहू ख़रीदा गया।
हालाँकि प्रदेश की मंडियों में पिछले दो दिनों से आढ़तियों की हड़ताल जारी थी। हड़ताल के बावजूद भी मंडियों में खरीद प्रक्रिया जारी रही। आज रविवार को मंडियों में अवकाश रहेगा और उठान का काम तेज किया जायेगा। आढ़तियों की माने तो मंडी में कोई व्यवस्था नहीं की गई है। सरसों का उठान तेज़ नहीं होने के कारण गेंहू की फसल रखने के लिए जगह तक नहीं मिल पा रही है। टीन शैड के नीचे कट्टों की ढांग लग रही है सड़को पर भी आने जाने की जगह नहीं बची। मंडी में किसानो के खाली ट्रैक्टर और अन्य वाहन जहाँ तहाँ खड़े रहते है जिस कारण हालात और भी ख़राब हो रहे है। शनिवार को मंडी में चल रहे दो धरम काँटों में से एक सरकारी कांटा ख़राब हो गया जिस कारण मंडी के मेन गेट पर ट्रैक्टरों की लम्बी कतार लगने से भारी जाम लग गया। आढ़तियों की माने तो हर बार सरकार और प्रशासन की और से अनेक दावे किये जाते है लेकिन इन व्यवस्थाओ को देखकर सब दावे फेल नजर आते है। मंडी में न किसानो के बैठने के लिए कोई उचित प्रबंध है न शौचालय और पीने के पानी की कोई व्यवस्था। आढ़तियों ने उठान में तेज़ी लाने के साथ मंडी में जाम की समस्या से निजात दिलाने की मांग की है। गेंहू की 1975 रूपये सरकारी समर्थन मूल्य पर जबकि सरसों की प्राइवेट खरीद 5200 से 5600 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से की जा रही है।
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