राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सौ वर्ष पूरे होने पर दिल्ली में शताब्दी वर्ष व्याख्यान माला कार्यक्रम का आयोजन। संघ की सोच और कार्य पद्धति से अवगत कराने वाला आयोजन :: नरेश चौहान एडवोकेट
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष उपलक्ष में तीन दिवसीय दिल्ली व्याख्यान माला को रेवाड़ी से राजनीतिक विश्लेषक नरेश चौहान एडवोकेट ने संघ की सोच और कार्य पद्धति से अवगत करवाने वाला आयोजन बताया है। राजनीतिक विश्लेषक नरेश चौहान ने शुक्रवार को अपने आवास पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वतंत्रता आंदोलन, कांग्रेस पार्टी, क्रांतिकारी दल, ब्रिटिश प्रताड़ना सभी में संघ संस्थापक डॉक्टर हेड गवार की भूमिका का बेबाक व्याख्यान करते हुए 1925 में संघ की स्थापना के मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डाला। हिंदू, धर्म, भाषा, राजनीति, समाज, परिवार, संस्कृत, शिक्षा, रोजगार पर अपनी सोच स्पष्ट करते हुए उन्होंने विश्व पटल पर भारत के अग्रणी रोल का हवाला देकर संघ के लिए नए क्षितिज की आवश्यकता का ऐलान किया। व्याख्यान माला के इस आयोजन से आम नागरिक, प्रशासन, सरकार, राजनीतिक- सामाजिक- धार्मिक- शैक्षिक और व्यापारिक संगठनों सभी को कुछ ना कुछ संदेश अवश्य दिया गया है, कौन कितना स्वीकारता है उन पर निर्भर करेगा। संघ की कार्य पद्धति का देश दुनिया को विस्तृत ब्यौरा देते हुए उन्होंने बताया कि संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा साल में एक बार दी जाने वाली अपनी सामर्थ्य अनुसार गुरु दक्षिणा के बूते ही संघ का यह विशाल संगठन निरंतर अपने पथ पर अग्रसर है।

0 comments:
एक टिप्पणी भेजें