ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट :- झारखंड सरकार द्वारा छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने हेतु चलाई जा रही "मुफ्त साइकिल वितरण योजना उन्नति का पहिया" अब सवालों के घेरे में आ गई है। योजना के तहत 8वीं या 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सरकार की ओर से निःशुल्क साइकिल उपलब्ध कराई जाती है, ताकि वे दूर-दराज के स्कूलों तक आसानी से पहुंच सकें। लेकिन अब इसके दुरुपयोग की तस्वीरें और रिपोर्ट सामने आने लगी हैं।
कबाड़ में मिल रही हैं साइकिलें:-
हाल ही में कुछ ग्रामीण इलाकों में पुछताछ के दौरान पाया गया कि सरकारी साइकिलें कबाड़खानों में बिकी हुई पाई गईं। इनमें से कई साइकिलों पर अभी भी “झारखंड सरकार” का लोगो और टैग मौजूद थे। यह न केवल सरकारी पैसे की बर्बादी है, बल्कि योजना की भावना के साथ धोखा भी।
क्या है मामला:-
– कुछ मामलों में अभिभावक या छात्र खुद साइकिल को बेच देते हैं।
– कहीं-कहीं स्कूल प्रशासन पर भी मिलीभगत का संदेह जताया जा रहा है।
– कई छात्रों को समय पर साइकिल नहीं मिलती, और जब मिलती है तब वह उनके लिए अनुपयोगी हो चुकी होती है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया:-
कुछ अभिभावकों का कहना है कि वे आर्थिक मजबूरी के चलते साइकिल बेचने को मजबूर हैं। वहीं, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता है।
जरूरत है:-
– पारदर्शी वितरण प्रणाली की।
– निगरानी तंत्र को मजबूत करने की।
– साइकिल के उपयोग की फॉलोअप जांच की।
– जरूरतमंद छात्रों की पहचान और उन्हें समय पर लाभ देने की।

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