हौसले और जिंदादिली का पर्याय थे फौजा सिंह अमित स्वामी यगमैन्स एसोसिएशन आफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं एशियन बाडी बिल्डिंग एवं फिसीक स्पोर्टस फैडरेशन के महानिदेशक तथा जिम एसोसिएशन रेवाड़ी के अध्यक्ष अमित स्वामी ने विश्व के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह के निधन पर शोक प्रकट करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया है। उल्लेखनीय है कि 14 जुलाई को दोपहर 3ः30 बजे फौजा सिंह पंजाब जालंधर के निकट अपने गांव ब्यास में रोड पार कर रहे थे तभी उन्हें एक अंजान वाहन से टक्कर मार दी। घायल फौजा सिंह को एक निजी अस्पताल में ले जाते वक्त उनका निधन हो गया।
उल्लेखनीय है कि फौजा सिंह ने 89 वर्ष की आयु में मैराथन में हिस्सा लेना शुरु किया था और 102 वर्ष तक की आयु तक वे मैराथन में हिस्सा लेते रहे और बहुत से कीर्तिमान अर्जित करके उन्होंने पूरी दुनिया को चौका दिया। अमित स्वामी ने कहा कि फौजा सिंह हौंसले और जिंदादिली का पर्याय थे। उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और समर्पित प्रयास से यह साबित किया कि जीवन में अगर इरादे मजबूत हो तो किसी भी उम्र में कामयाबी अर्जित की जा सकती है। इसलिए उनका उपनाम ‘‘पगड़ी वाला तूफान‘‘ भी पड़ा। उन्होंने कुल 18 मैराथन दौड़ में हिस्सा लिया। वर्ष 2011 व 2012 के बाद 102 वर्ष की आयु में उन्होंने मैराथन से सन्यास लिया। एक अप्रैल 1911 में जलंधर-पंजाब के गांव ब्यास में जन्मे फौजा सिंह अपनी जिंदादिली से सभी के प्रेरणास्त्रोत बन गए। अमित स्वामी तथा उनकी संस्थाओं के पदाधिकारियों, सदस्यों की ओर से ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

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