ग्राम समाचार बोआरीजोर,गोड्डा: बोआरीजोर प्रखंड अंतर्गत कुसुमघाटी पंचायत के डहुआ गांव की गलियों में लगे बिजली पोलों पर वेपर लाइट तो जरूर लगी हैं, लेकिन उनकी हालत मरणासन्न पड़ी है। तीन वर्षों से यह लाइटें खराब हैं – कहीं बटन नहीं है तो कहीं तार गायब। नतीजतन, शाम ढलते ही गांव की सड़कें अंधेरे में डूब जाती हैं।
डहुआ गांव की सड़कें सिर्फ ग्रामीण आवागमन के लिए ही नहीं, बल्कि महादेव बथान से टेबो बथान होते हुए सुंदरपहाड़ी प्रखंड को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग भी है। 24 घंटे लोगों का आवागमन यहां बना रहता है। वर्तमान में बारिश का मौसम चल रहा है, और अंधेरे में सांप-बिच्छुओं जैसे जहरीले जीवों के खतरे से ग्रामीण हमेशा डरे रहते हैं।
सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना निश्चित रूप से सराहनीय थी, मगर अब यह 'दिखावा' बन कर रह गई है। वेपर लाइटें खंभों पर जरूर हैं, मगर देखरेख और रखरखाव का जिम्मा लेने वाला कोई नहीं। पंचायत राज व्यवस्था में चुने गए जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है।
जब "सरकार गांव से चलती है" का नारा दिया जाता है, तो छोटी-छोटी बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी पूरे तंत्र की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। यह स्थिति केवल उदासीनता नहीं, बल्कि पंचायत राज व्यवस्था में व्याप्त संभावित भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा करती है।
सरकारी बजट में हर वर्ष गांवों के विकास के लिए राशि दी जाती है, परंतु वर्षों से खराब वेपर लाइट की सुध न लेना दर्शाता है कि या तो वह राशि सही जगह नहीं पहुंच रही या फिर उसकी मॉनिटरिंग ही नहीं हो रही। अब देखना यह होगा कि जिम्मेदार अधिकारी और प्रतिनिधि कब नींद से जागते हैं, या फिर यह लाइट यूं ही पोल पर लटकी रहकर 'अंधेरे में उजाले' की विडंबना का प्रतीक बन जाएगी।
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