ग्राम समाचार महागामा गोड्डा (झारखंड)। गोड्डा जिले के उर्जानगर, महागामा में आर्य समाज की स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। इसी उद्देश्य से एक विशाल बैठक का आयोजन मंगलवार, 3 जून 2025 को प्रातः 6:00 बजे इको पार्क उर्जानगर, महागामा में किया गया है। रिपोर्टिंग का समय प्रातः 5:30 बजे निर्धारित किया गया है, ताकि सभी इच्छुक सज्जन समय पर उपस्थित हो सकें।
क्यों महत्वपूर्ण है आर्य समाज?
आर्य समाज, जिसकी स्थापना महर्षि दयानंद सरस्वती ने की थी, भारतीय समाज में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला आंदोलन रहा है। इसका मूल उद्देश्य वेदों के शाश्वत और वैज्ञानिक ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना है। यह समाज किसी भी प्रकार के आडंबर, पाखंड, अंधविश्वास और कुरीतियों का प्रबल विरोधी है।
आर्य समाज एक महत्वपूर्ण भारतीय हिंदू सुधार आंदोलन है जिसकी स्थापना 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी। इसका महत्व कई कारणों से है:
1. सामाजिक सुधार:
- जातिवाद का विरोध: आर्य समाज ने जातिवाद, छुआछूत और जाति-आधारित भेदभाव का दृढ़ता से विरोध किया। यह सभी मनुष्यों की समानता में विश्वास रखता था।
- महिला सशक्तिकरण: इसने महिलाओं की शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया, जो उस समय के भारतीय समाज में क्रांतिकारी कदम थे। इसने बाल विवाह का भी कड़ा विरोध किया।
- अंधविश्वास और कर्मकांड का खंडन: आर्य समाज ने मूर्तिपूजा, बहुदेववाद, अवतारवाद, पशुबलि, श्राद्ध, और अन्य झूठे कर्मकांडों का खंडन किया। यह वेदों को ईश्वरीय ज्ञान मानता था और 'वेदों की ओर लौटो' का नारा दिया।
- शुद्धि आंदोलन: इसने धर्म परिवर्तित लोगों को फिर से हिंदू धर्म में लौटने के लिए 'शुद्धि आंदोलन' चलाया।
2. शिक्षा का प्रसार:
- आर्य समाज शिक्षा के सबसे बड़े प्रदाताओं में से एक है, जिसने प्राथमिक से लेकर स्नातक स्तर तक के कई डीएवी (दयानंद एंग्लो-वैदिक) स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की।
- इसका मानना था कि शिक्षा मनुष्य के लौकिक और पारलौकिक कल्याण के लिए आवश्यक है, और इसने लड़कियों और लड़कों दोनों के लिए अलग-अलग विद्यालयों और निःशुल्क शिक्षा की वकालत की।
3. राष्ट्रीयता और स्वदेशी की भावना:
- आर्य समाज ने भारत में राष्ट्रवादी भावना को बढ़ावा दिया और 'स्वराज' (स्व-शासन) शब्द का सबसे पहले प्रयोग किया, जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया।
- इसने स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया, जिससे भारतीयों में अपनी वस्तुओं और संस्कृति के प्रति रुचि बढ़ी, और इसने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई स्वतंत्रता सेनानी आर्य समाज से जुड़े थे।
4. धार्मिक शुद्धिकरण और एकेश्वरवाद:
- आर्य समाज एकेश्वरवादी था और एक ईश्वर में विश्वास रखता था। इसने पुराणों की धारणा को नहीं माना और वैदिक धर्म को पुनः स्थापित करने का लक्ष्य रखा।
- यह सत्य को पहचानने और अज्ञान को दूर करने पर जोर देता था।
संक्षेप में, आर्य समाज ने न केवल भारतीय समाज को कई सामाजिक बुराइयों से मुक्त कराने का काम किया, बल्कि इसने शिक्षा, राष्ट्रीयता और धार्मिक शुद्धिकरण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज भी इसके सिद्धांत और मिशन प्रासंगिक बने हुए हैं, खासकर शिक्षा और सामाजिक समानता के क्षेत्र में।
आर्य समाज का मानना है कि सच्चा ज्ञान, नैतिक आचरण और सामाजिक न्याय ही एक मजबूत और समृद्ध समाज की नींव रख सकते हैं। यह समाज सभी मनुष्यों के प्रति प्रेम, न्याय और दया के व्यवहार का उपदेश देता है।
महागामा में नई ऊर्जा का संचार
महागामा में आर्य समाज की स्थापना से स्थानीय समुदाय को वैदिक ज्ञान और सिद्धांतों से जुड़ने का अवसर मिलेगा। यह समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने में सहायक होगा। इस बैठक में स्थानीय प्रबुद्धजनों, युवाओं, महिलाओं और सभी धर्मप्रेमी नागरिकों से बड़ी संख्या में उपस्थित होकर अपने विचार साझा करने और इस पुनीत कार्य में सहयोग देने की अपील की गई है।
बैठक में क्या होगा?
इस बैठक में आर्य समाज के सिद्धांतों और उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। साथ ही, महागामा में आर्य समाज की गतिविधियों को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर रणनीति बनाई जाएगी। समाज के प्रतिनिधियों द्वारा आर्य समाज के इतिहास, उसके सामाजिक योगदान और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला जाएगा।
सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनें और महागामा में एक ऐसे समाज की नींव रखने में सहयोग करें, जो सत्य, ज्ञान और सामाजिक उत्थान के सिद्धांतों पर आधारित हो।
- ग्राम समाचार, महागामा ब्यूरो रिपोर्ट।
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