रांची, झारखंड में अवैध खनन और खनिजों के अवैध परिवहन पर लगाम कसने के लिए हेमंत सोरेन सरकार ने कमर कस ली है। राज्य के पथ निर्माण विभाग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अवैध रूप से खनन किए गए कोयला, लोहा, पत्थर, बॉक्साइट, बालू और अन्य खनिजों के परिवहन पर प्रति टन ₹1200 का भारी जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय न केवल राजस्व को बढ़ाएगा, बल्कि अवैध खनन गतिविधियों पर भी अंकुश लगाएगा।
पथ निर्माण विभाग को ₹3 करोड़ की अतिरिक्त आय
पथ निर्माण विभाग की जानकारी के अनुसार, वर्तमान में प्रतिदिन औसतन 25 हजार चालान काटे जा रहे हैं। इस नए प्रावधान के लागू होने के बाद पथ निर्माण विभाग को जुर्माने के रूप में प्रतिमाह लगभग 3 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होने का अनुमान है। यह राशि राज्य के विकास कार्यों में उपयोग की जाएगी।
नया नियम: "डिफॉरेस्टेशन ऑफ रोड्स एंड कलेक्शन अमेंडमेंट रूल्स 2025"
यह नया प्रावधान "डिफॉरेस्टेशन ऑफ रोड्स एंड कलेक्शन अमेंडमेंट रूल्स 2025" के तहत लागू किया गया है। यह नियम 13 मई 2025 से प्रभावी हो चुका है। अब अवैध रूप से खनिज परिवहन करते पाए जाने पर ₹1200 प्रति टन का जुर्माना सीधे पथ निर्माण विभाग द्वारा वसूल किया जाएगा। पहले यह चालान खनन विभाग द्वारा जारी किया जाता था, लेकिन अब पथ निर्माण विभाग को भी यह अधिकार दे दिया गया है। इससे अवैध खनन पर त्वरित कार्रवाई करना संभव होगा।
जेम पोर्टल से जुड़ेगा यूजर चालान
अवैध खनिज परिवहन पर अंकुश लगाने और पारदर्शिता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। अब पथ निर्माण विभाग द्वारा काटे गए सभी यूजर चालानों को जेम पोर्टल से जोड़ा जाएगा। इससे सभी चालानों का रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी। इस संबंध में 24 जून को खान निदेशक राहुल सिन्हा ने सभी खनिजों के पर्यवेक्षण को यूजर चालान जेम पोर्टल से जोड़ने का निर्देश दिया है।
अवैध परिवहन पर दोगुना जुर्माना
नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए भी कड़े प्रावधान किए गए हैं। यदि कोई खनन परिवहन के दौरान यूजर चालान नहीं दिखाता है, तो उस पर उतनी ही राशि का दोगुना जुर्माना लगाया जाएगा। यानी ₹1200 प्रति टन की बजाय ₹2400 प्रति टन का जुर्माना वसूला जाएगा। यह नियम अवैध परिवहन को रोकने में सहायक सिद्ध होगा।
पत्थर व्यवसायियों का विरोध
इस नए नियम का झारखंड पत्थर व्यवसायी संघ के सचिव पंकज कुमार सिंह ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि मामला अभी हाईकोर्ट में चल रहा है। उन्होंने हाईकोर्ट को इस मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है और कहा है कि जेम पोर्टल अवैध खनन को रोकने के लिए बना है, न कि पथ निर्माण विभाग को टैक्स वसूली के लिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मामले को कोर्ट में ले जाया जाएगा।
निर्माण सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका
इस नए नियम से कोयला, लोहा, पत्थर, बालू और अन्य जैसी निर्माण सामग्री की कीमतों में इजाफा होने की आशंका जताई जा रही है। पत्थर व्यवसायियों का मानना है कि इस जुर्माने का बोझ अंततः आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जिससे निर्माण लागत बढ़ सकती है।
राज्य सरकार का यह कदम अवैध खनन पर लगाम लगाने और राजस्व बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। हालांकि, इसका दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा और क्या यह निर्माण सामग्री की कीमतों को बढ़ाएगा, यह तो समय ही बताएगा।
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