'पिंग्काउर' और पार्श्वती की लेखन शैली:
पार्श्वती तिर्की का कविता संग्रह 'पिंग्काउर' आदिवासी जीवन की जटिलताओं, प्रकृति से जुड़ाव और सांस्कृतिक विरासत के पहलुओं को गहराई से दर्शाता है। उनकी कविताएँ भावनात्मक और विचारोत्तेजक होती हैं, जो पाठकों को आत्मनिरीक्षण के लिए प्रेरित करती हैं। पार्श्वती की लेखन शैली में संवेदनशीलता, स्पष्टता और सहजता का एक अनूठा मिश्रण है। उनकी कविताएँ अपनी मिट्टी से जुड़ी हुई हैं और आदिवासियों की भावना और अनुभवों को बखूबी बयां करती हैं। 'पिंग्काउर' 2023 में प्रकाशित हुआ था।
पार्श्वती का साहित्यिक सफर:
पार्श्वती तिर्की का जन्म 16 जनवरी 1994 को झारखंड के गुमला जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नवोदय विद्यालय, गुमला से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी की। वर्तमान में वे एक हिंदी शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं।
युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार 2025 के लिए उन्हें चुना जाना, आदिवासी साहित्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल पार्श्वती तिर्की की प्रतिभा को उजागर करता है, बल्कि अन्य युवा आदिवासी लेखकों को भी प्रेरणा देता है।
पुरस्कार का महत्व:
साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण पहचान है। यह युवा लेखकों को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित करता है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। पार्श्वती तिर्की को यह पुरस्कार मिलना आदिवासी साहित्य को राष्ट्रीय मंच पर लाने में भी मदद करेगा।
साहित्य जगत से प्रतिक्रिया:
पुरस्कार की घोषणा के बाद साहित्यिक जगत में खुशी की लहर है। प्रख्यात आलोचक, साहित्यकार और कवि ने पार्श्वती तिर्की को उनके सम्मान पर बधाई दी है। यह पुरस्कार आदिवासी साहित्य के बढ़ते प्रभाव और उसकी बढ़ती पहचान का प्रतीक है। पार्श्वती तिर्की जैसे युवा लेखकों के उदय से हिंदी साहित्य को नई दिशा और विविधता मिल रही है।
पार्श्वती तिर्की ने इस सम्मान के लिए साहित्य अकादमी का आभार व्यक्त किया है और कहा है कि यह उन्हें भविष्य में और भी बेहतर लिखने के लिए प्रेरित करेगा। उनकी सफलता ने अन्य आदिवासी लेखकों और साहित्य प्रेमियों के बीच उत्साह का संचार किया है।
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