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मसलिया के अजमेरी गांव में रविवार देर रात्रि शिव पुराण कथा के विराम दिवस पर आरती करते यजमान विवेकानंद यादव व अन्य |
ग्राम समाचार, दुमका। मसलिया प्रखंड क्षेत्र के सांपचला पंचायत के अजमेरी ग्राम में सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के रविवार अंतिम रात्रि को वृंदावन से पधारे कथावाचक शिवम कृष्ण महाराज ने कहा कि ऐसे तो भगवान शिव कंकर कंकर में विराजमान हैं। यत्र जीव तत्र शिव कहा गया है । लेकिन शास्त्रीय परंपरा के अनुसार भगवान शिव के बारह अवतार हैं। जो बाद में ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए। जिसकी कथा सुनाई। जिसके बाद आरती कर कथा को विराम दिया गया। कथा में सभी ज्योर्तिलिंगों के महत्व पर जुड़े प्रसंगों को बड़े ही रोचक तरीके से बताया। जिसमें सौराष्ट्र प्रदेश में सोमनाथ, श्रीशैल में मल्लिकार्जुन, उज्जैन में महाकाल, देवघर में वैद्यनाथ, केदारनाथ, रामेश्वर, त्रयम्बकेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथ,घृसणेश्वर,ओंकारेश्वर व भीमशंकर महादेव महादेव व उनके किन कारणों से मंदिर स्थापित की गई इसके बारे में बताया। कथा में बताया कि हरि और हर एक ही है। हरि अर्थात विष्णु व हर अर्थात महादेव। एक रमा की बात मानते हैं तो दूजा उमा की बात मानते हैं। दोनों में कोई कम नहीं हैं। दोनो सम हैं। भगवान शिव की महिमा का बखान करते हुए कहा कि शिव ही ऐसे देव हैं जो किसी के कष्ट को देखकर ज्यादा देर तक रुक नहीं सकते। बड़े सहज ही भक्तों को दर्शन दे देते हैं। एक बार की बात है वृकासुर नाम का एक असुर ने कड़ी तपस्या की। यहां तक कि उन्होंने शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने शरीर के हाथ को टुकड़ों में काट कर यज्ञाहुति देने लगे। एक ही आहुति डाले थे कि शिव जी प्रकट होकर बोले वत्स क्या चाहिए कहो। जिसमें उन्होंने अमरत्व का वरदान मांगा। भगवान शिव ने यह कहकर नहीं दिया कि जो इस जग में आया है उसे तो जाना पड़ेगा कुछ दूसरा मांगो। इसपर उन्होंने कहा कि हम जिसपर हाथ रख दें वह जलकर राख हो जाये। शिव ने उसे तथास्तु कह दिया। वृकासुर ने कहा कि भगवन यह कैसे समझूं कि आपने जो वरदान दिया वह सत्य है। इसपर शिव ने कहा कि जाओ देख लो। उस असुर ने भगवान शिव पर ही प्रयोग के लिए इच्छा जताई। अंत में महादेव को संकट में देख पार्वती माता ने उस राक्षस से छुटकारा दिलाई। वह राक्षस बाद में भस्मासुर के नाम से जाना गया। शिवमकृष्ण महाराज ने सभी स्रोता श्रद्धालुओं से आग्रह करते हुए कहा कि इस सात दिनों की कथा में जो भी अच्छा लगे आप सभी ग्रहण कर उसे जीवन में उतारने का प्रयास करना। कथा में जो समय दान दिए हैं उससे सीख लेकर जीवन को आनंदमय बनाना। कथा स्थल में श्रोताओं के लिए बैठने व प्रसाद की व्यवस्था अजमेरी ग्राम के विवेकानंद यादव ने किया। जिसमें सांपचला, महुलबना, गुमरो, सिताकोहबर, रानीघाघर, दलाही, मनोहर चोक समेत दर्जनों गांवों के श्रद्धालु कई किलोमीटर दूरी तय कर पहुंचे।
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