Bounsi News: लोकतंत्र में मीडिया का आचरण

ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मीडिया को चौथा स्तंभ के रूप में मानी जाती है। ऐसी स्थिति में मीडिया का दायित्व होता है कि लोकतांत्रिक मुल्यों, आदर्शों और संविधान की वैधानिकता की रक्षा के लिए निष्पक्ष रूप से  मीडिया अपनी संवैधानिक अधिकार 19 ( ए ) का प्रयोग करे। अकबर इलाहाबादी का यह बहुत प्रसिद्ध कलाम है - खींचों न कमानों को, न तलवार निकालों । जब तोफ मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालों। स्वतंत्र भारत में जनहित और जनकल्याण का मार्ग को प्रशस्त करना भी पत्रकारिता का एक अभिन्न अंग है। मीडिया संहिता इस बात पर बल देती है कि देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना हेतु अपनी कलम 

पवन कुमार त्रिभुवन (शिक्षक)

की ताकत से सत्ता पर आसीन सरकार को मार्गदर्शन करते रहे। परंतु पत्रकारिता जैसे लोक मर्यादित क्षेत्र के लिए दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि, "आज इस क्षेत्र में ऐसे लोगों का प्रवेश हो गया है जिन्हें लोकतांत्रिक मुल्यों, आदर्शों और परम्पराओं की कोई जानकारी है ही नहीं।" समाचार का संकलन करना और लोगों तक पहुंचा देना ही केवल पत्रकारिता नहीं हो सकता। दायित्व बोध के साथ समाज पर साकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है अथवा नहीं, इस बात का भी अध्ययन करना एक पत्रकार के लिए जरूरी है। साथ ही साथ परिपक्वता के अंदर भाषा कौशल और जनसंपर्क का तरीका लोकतांत्रिक होना बहुत जरूरी है।

कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।

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Editor - कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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