ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। उमंग और उत्साह का त्योहार होली को हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों के इस त्योहार को लेकर सभी के अंदर बेहद उत्साह रहता है। इस त्योहार को लोग अपने गले–शिकवे मिटाकर आपस में मिलजुलकर प्रेम और भाईचारे के साथ मनाते हैं और एक–दूसरे को रंग और अबीर लगाकर इस पावन पर्व की बधाई देते हैं। वहीं इस मौके पर कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें कई तरह की प्रतियोगिताएं होती हैं। "दुआ यही हमारी पूरी हो हर आपकी आस, मीठे-मीठे पकवानों सी जीवन में बनी रहे मिठास दुनिया की सारी खुशियां आ जाएं आपकी झोली" होली का त्योहार प्रेम, भाईचारे, उत्साह, सोहार्द और एकता का पर्व है। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि इस पर्व को हर साल बसंत ऋतु में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली का पर्व न सिर्फ हमें अपने पुराने गले-शिकवे मिटाकर आपसी रिश्ते सुधारने का मौका देता है बल्कि हमें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का भी काम करता है। इस पर्व का सामाजिक सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व है। इस त्योहार से कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी होने की वजह से इस पर्व से लोगों की काफी गहरी आस्था है। रंगों के त्योहार से राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम और प्रह्लाद एवं होलिका की कथा सबसे प्रचलित है। जिसके
मुताबिक हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को होलिका के साथ मारने की साजिश रची थी, जिसके बाद राक्षसनी होलिका वरदान में मिली अपनी चादर को लपेटकर भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर जलती हुई आग में बैठ गई, जिसके बाद तूफान आने से उसकी चादर उड़ गई और भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु के कृपा से बचे रहे, तभी से इस त्योहार को मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है। इस त्योहार की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरु हो जाती हैं। इस मौके पर घरों में गुजिया, गुलाब जामुन, मालपुआ जैसे पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं। इसके अलावा होली पर आयोजित इस तरह के कार्यक्रमों में लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं। हालांकि, बदलते वक्त के साथ होली के त्योहार ने भी आधुनिकता का रुप ले लिया है। होली में अब फुहड़ता दिखाई देती है। वहीं आज युवा वर्ग के लिए होली के त्योहार को मनाने का मतलब मस्ती और नशाखोरी हो गया है। इस मौके पर युवा शराब जैसे नशीले पदार्थों का सेवन कर महिलाओं के साथ छेड़खानी करते हैं, जिससे इस त्योहार की गरिमा तो कम हो ही रही है, साथ ही नैतिकता का भी पतन हो रहा है। इसके अलावा जहां पहले लोग घरो में पकवान बनाते थे, वहीं आजकल लोग बाजार से ही पकवान मंगा लेते हैं। होली के मौके पर ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए लालच में दुकानदार मिलवटी पदार्थ बेचते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं। इस तरह होली आज पूरी तरह बाजारवाद की चपेट में आ गई हैं। वहीं पहले जहां लोग इस त्योहार पर अपनी पुरानी रंजिशों को मिटाकर आपस में प्रेमपूर्वक गले-मिलते थे। वहीं आजकल होली पर रंजिश के चलते हत्या की खबरें आम हो गईं हैं। इस पर्व के मायने आजकल लोगों के लिए बदल गए हैं। हम सभी को इस पर्व का महत्व समझना चाहिए और होली के मूल संदेशों का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। "रंगो से भरी इस दुनिया में, रंग रंगीला त्यौहार है होली गिले शिकवे भुलाकर खुशियां मनाने का त्यौहार है होली रंगीन दुनिया का रंगीन पैगाम है होली हर तरफ यहीं धूम है मची“बुरा ना मानो होली है होली”।
कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।
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