Godda News: जैविक कीटनाशक का महत्व के प्रशिक्षण दिया गया
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट- कृषि विज्ञान केंद्र,गोड्डा के सभागार में प्रसार कार्यकर्ताओं का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया| प्रशिक्षण का विषय "जैविक कीटनाशी का महत्व" है| पौधा सुरक्षा वैज्ञानिक डाॅ. सूर्य भूषण ने प्रसार कार्यकर्ताओं को बताया कि किसान आमतौर पर फसलों के कीट और बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भर हैं। कभी-कभी, अनावश्यक कीटों की आबादी सामान्य स्तर से कम होती है, तब भी किसान फसलों पर कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। इससे प्राकृतिक दुश्मन और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ट्राइकोडर्मा कवक जैव कीटनाशक मिट्टी में पैदा होने वाले हानिकारक फंगल रोगों को नियंत्रित कर सकते हैं। जैसे कि जड़-सड़न, तना-सड़न आदि। ट्राइकोडर्मा का प्रयोग गोबर में मिलाकर जैविक खाद तैयार कर सकते हैं| जैविक कीटनाशी नीमास्त्र बनाने के लिए ड्रम में 100 लीटर पानी में 10 किलो नीम का पत्ता,2 किलो ताजा गोबर,10 लीटर गौमूत्र के मिश्रण को डालकर रख दें, सुबह- शाम उसे डंडे के सहारे चलाते रहें। तीन दिन बाद नीमास्त्र को छानकर रोग जनित फसलों पर छिड़काव करें। इसे बिना कीड़े लगी फसल पर भी छिड़काव कर सकते हैं,जिससे उसमें कीड़ा नहीं लगेगा। प्रदान संस्था के सहयोग से शिवलाल मरांडी, मानवेल बास्की, संत लाल मुर्मू, सुरूजमुनी बास्की, सुनेश्वर पहाड़िया,प्रधान मुर्मू, अमित मुर्मू, मरियास्टेला मरांडी, निर्मला हांसदा, मीना हेम्ब्रम, तेरेसा सोरेन आदि प्रसार कार्यकर्ता प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए|
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