ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट- कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सभागार में ग्रामीण युवक-युवतियों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण का सफलतापूर्वक समापन हुआ। प्रशिक्षण का विषय सूकर पालन की विकसित प्रणाली है| सभी प्रशिक्षणार्थियों को कोरोना अधिनियम का पालन करते हुए सामाजिक दूरी पर बैठाया गया। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने कहा कि अर्थ के लिहाज से सूकर पालन का कारोबार बेहद फायदेमंद माना जाता है, वो इसलिए चूंकि सूकर पालन करने के लिए ज्यादा पूंजी की आवश्यकता नहीं होगी। राष्ट्रीय सूकर अनुसंधान केंद्र के मुताबिक किसान तकरीबन 50 हजार रूपए की पूंजी से सूकर पालन का कारोबार शुरू कर सकते हैं। गोड्डा जिले में आदिवासी क्षेत्रों में सूकर के मांस की ज्यादा डिमांड होने से सूकर पालन काफी लाभदायक साबित हो सकता है और युवा वर्ग सूकर पालन को स्वरोजगार के रूप में अपना सकते हैं।पशु पालन वैज्ञानिक डाॅ0 सतीश कुमार ने बताया कि सूकरों के रहने के लिए आवास के साफ-सुथरे एवं हवा दार होने चाहिए। सूकर घर का जमीन पक्का करके सूकर पालन से ज्यादा आमदनी प्राप्त किया जा सकता है। 4 से 10 सप्ताह में नर बच्चे का जिन्हें प्रजनन के लिए नहीं रखना है, बधिया कर देना चाहिए।गर्भवती सूकरी को बच्चा देने के कम से कम 10 दिन पहले प्रसूति गृह में अकेले रख देना चाहिए।सूकरी से दिन में बच्चा देने के लिए उसे अनुमानित समय से 48 घंटे पहले एक मिली. पी. जी. एफ 2 एल्फा की सुई मांस में लगा देनी चाहिए। इससे सूकरी का दूध प्रभाव भी बढ़ जाता है तथा बच्चे की अधिक बढ़ोत्तरी एवं मृत्यु दर कम हो जाती है। सभी प्रगतिशील पशु पालकों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। प्रमिला टुडू, बिटीमय हांसदा, मंजू सोरेन, बासोनी मुर्मू, मार्सिला हांसदा, किशोर किस्कू, सनत सोरेन, सोमलाल बेसरा, देव लाल मरांडी, रसीलाल सोरेन आदि प्रगतिशील महिला- पुरूष किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
Godda News: सूकर पालन से ज्यादा आमदनी प्राप्त की जा सकती है
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट- कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सभागार में ग्रामीण युवक-युवतियों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण का सफलतापूर्वक समापन हुआ। प्रशिक्षण का विषय सूकर पालन की विकसित प्रणाली है| सभी प्रशिक्षणार्थियों को कोरोना अधिनियम का पालन करते हुए सामाजिक दूरी पर बैठाया गया। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने कहा कि अर्थ के लिहाज से सूकर पालन का कारोबार बेहद फायदेमंद माना जाता है, वो इसलिए चूंकि सूकर पालन करने के लिए ज्यादा पूंजी की आवश्यकता नहीं होगी। राष्ट्रीय सूकर अनुसंधान केंद्र के मुताबिक किसान तकरीबन 50 हजार रूपए की पूंजी से सूकर पालन का कारोबार शुरू कर सकते हैं। गोड्डा जिले में आदिवासी क्षेत्रों में सूकर के मांस की ज्यादा डिमांड होने से सूकर पालन काफी लाभदायक साबित हो सकता है और युवा वर्ग सूकर पालन को स्वरोजगार के रूप में अपना सकते हैं।पशु पालन वैज्ञानिक डाॅ0 सतीश कुमार ने बताया कि सूकरों के रहने के लिए आवास के साफ-सुथरे एवं हवा दार होने चाहिए। सूकर घर का जमीन पक्का करके सूकर पालन से ज्यादा आमदनी प्राप्त किया जा सकता है। 4 से 10 सप्ताह में नर बच्चे का जिन्हें प्रजनन के लिए नहीं रखना है, बधिया कर देना चाहिए।गर्भवती सूकरी को बच्चा देने के कम से कम 10 दिन पहले प्रसूति गृह में अकेले रख देना चाहिए।सूकरी से दिन में बच्चा देने के लिए उसे अनुमानित समय से 48 घंटे पहले एक मिली. पी. जी. एफ 2 एल्फा की सुई मांस में लगा देनी चाहिए। इससे सूकरी का दूध प्रभाव भी बढ़ जाता है तथा बच्चे की अधिक बढ़ोत्तरी एवं मृत्यु दर कम हो जाती है। सभी प्रगतिशील पशु पालकों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। प्रमिला टुडू, बिटीमय हांसदा, मंजू सोरेन, बासोनी मुर्मू, मार्सिला हांसदा, किशोर किस्कू, सनत सोरेन, सोमलाल बेसरा, देव लाल मरांडी, रसीलाल सोरेन आदि प्रगतिशील महिला- पुरूष किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें