आशा कार्यकर्ता यूनियन हरियाणा (रजि.नं.2074) सम्बंधित ए आई यू टी यू सी की राज्य प्रधान राजबाला व सचिव सन्तोष यादव ने संयुक्त बयान जारी करते हुए माननीय मुख्यमंत्री महोदय, हरियाणा सरकार को ई-मेल के माध्यम से एक मांग पत्र प्रेषित कर के मांग की है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत् संविदा स्टाफ (कन्ट्रक्चुवल स्टाफ) की भांति आशा कार्यकर्ताओं को भी सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतनमान दिया जाए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत् अन्य कन्ट्रक्चुवल स्टाफ की भांति ही आशा कार्यकर्ता भी ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन(एन एच एम) के तहत ही कार्यरत हैं। अभी हाल ही में हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत् कन्ट्रक्चुवल स्टाफ पर सातवां वेतन आयोग लागू करके दीपावली तोहफा दिया है जो सराहनीय है परन्तु आशा कार्यकर्ता भी भारत सरकार द्वारा लागू इसी योजना में कार्य करतीं हैं और पूरी निष्ठा और समर्पण से भारत सरकार और राज्य सरकार की स्वास्थ योजनाओं से संबंधित सभी नीतियों और कार्यक्रमों को धरातल पर कार्यान्वित करती है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में जब पूरा देश घरों में बन्द था तब हम आशा कार्यकर्ता ही थी जिन्होंने अपने व अपने परिवार के जीवन की परवाह किए बिना घर घर जाकर सर्वे किया, महामारी से निपटने में सरकार के हर कदम पर साथ दिया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की प्रत्येक स्वास्थ योजनाओं को गांव व शहरी क्षेत्रों में हम आशा/उषा कार्यकर्ता ही धरातल पर कार्यान्वित करती हैं परन्तु दुःख की बात है कि हरियाणा सरकार ने सातवें वेतन आयोग को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत् संविदा स्टाफ पर लागू करने की उपरोक्त घोषणा करते हुए आशा कार्यकर्ताओं को याद नहीं किया और सरकार उन्हें भूल गई। जबकि कोरोना काल में किए गए हमारे कार्यों की उस समय मुख्यमंत्री महोदय, स्वास्थ्य मंत्री महोदय व प्रत्येक जिले के उपायुक्त महोदय सहित सभी नागरिकों व अधिकारियों ने भूरि भूरि प्रशंसा की थी और "कोरोना योद्धा", "फ्रंटलाइन वारियर्स" आदि विशेषणों से हमें भी नवाजा गया था।
Rewari News : आशा कार्यकर्ता यूनियन प्रधान ने सीएम को ई मेल से पत्र भेजकर न्यूनतम वेतनमान मांग की
कोरोना काल में किए गए हमारे सराहनीय कार्य के लिए सरकार ने प्रत्येक आशा कार्यकर्ता को 5000/- एकमुश्त सहायता राशि देने की भी घोषणा की थी जो आज तक प्रदेश में किसी भी आशा कार्यकर्ता को नहीं मिली है। उन्होंने मांग की कि यह 5000/-रु की राशी भी तुरंत जारी की जाए।
उन्होंने मांग की कि गांवों व शहरी क्षेत्रों में कार्यरत हम आशा व उषा कार्यकर्ता एन एच एम योजना को धरातल पर कार्यान्वित करती है जब सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अनुबंधित स्टाफ पर लागू किया जा सकता है तो हम आशा कार्यकर्ताओं को इस लाभ से क्यों वंचित किया जा रहा है जबकि आशा/उषा कार्यकर्ताओं सहित एन एच एम स्कीम में कार्यरत सभी नियमित व अनुबंधित स्टाफ का वेतन व मानदेय, इस स्कीम में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा आवंटित, बजट के तहत ही दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि सरकारी क्षेत्र में काम करने के बावजूद भी हमें सरकारी कर्मचारी का दर्जा देना तो दूर रहा आज तक हमें राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा। इस भयंकर महंगाई के दौर में मामूली मानदेय से घर चलाना भी मुश्किल है। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने मांग की कि सातवें वेतन आयोग का लाभ हम आशा/उषा कार्यकर्ताओं पर भी लागू किया जाए और न्यूनतम वेतन 21000/- रुपए (7वें वेतन आयोग में लागू न्यूनतम वेतनमान 18000/-रु.plus महंगाई भत्ता) प्रति माह दिया जाए।
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