रेवाडी। तीनों कृषि के कानूनों को भाजपा सरकार द्वारा वापिस लेने की घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए विधायक चिरंजीव राव ने कहा सत्मेव जयते, आखिरकार तानाशाह सरकार को झूकना पडा और किसानों की जीत हुई। लेकिन प्रधानमंत्री के हट का नतीजा है कि बेकसूर 700 किसान शहीद हो गए, सरकार को सभी किसानों को शहीद का दर्जा देना चाहिए और परिजनों से माफी मांगनी चाहिए। इसके अलावा सरकार को साथ-साथ न्यूतम समर्थन मूल्य पर भी कानून बनाना चाहिए।
विधायक चिरंजीव राव ने कहा कि देश की कृषि व्यवस्था को कारपोरेट के हाथों से बचाने के लिए ऐतिहासिक आंदोलन करने वाले किसानों को आतंकवादी कहने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। किसानों ने अपने सत्याग्रह आंदोलन से जीत हासिल करके पूरी दुनिया के सामने आदर्श उदाहरण पेश किया है कि हमारे देश में नफरत व हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। गांधीवादी विचारों से ही किसी भी तानाशाही सरकार को झुकाया जा सकता है। अन्नदाताओं को इस लंबे संघर्ष की जीत की बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार चंद बड़ी कंपनियों के दबाव में जबरदस्ती काले कानून किसानों पर थोपना चाहती थी, परंतु जिस प्रकार से एक वर्ष से भी ज्यादा समय तक किसानों ने एकजुट होकर यह लड़ाई लड़ी उससे तानाशाही सरकार को झुकना पड़ा है। यूपी व पंजाब के चुनावों में संभावित नुकसान को देखते हुए अब जाकर सरकार की आंख खुली है। अगर समय रहते किसानो की मांग मान ली जाती तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति इस महान संघर्ष में दी।
चिरंजीव राव ने कहा कि तीनों काले कृषि कानून जबरदस्ती संसद में पास कराए गए, जिससे मजबूर होकर किसानों को दिल्ली के बार्डरों पर बैठना पड़ा। केन्द्र सरकार की इस घोषणा से साफ हो गया है कि किसान सही थे और कानून वास्तव में काले ही हैं। इतने समय तक अपना काम धंधा, खेती-बाड़ी, घर छोडकर किसानों को आंदोलन करना पड़ा। इसके लिए केन्द्र सरकार की हठधर्मिता जिम्मेवार है। लगातार धरनारत रहे किसानों को जो इस दौरान आर्थिक नुकसान पहुंचा हैए उसकी भरपाई के लिए भी सरकार को कदम उठाने चाहिए और किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें