ग्राम समाचार,बौंसी,बांका।
भारतीय समाज में गुरु का स्थान प्रारंभ से ही बड़ा ऊंचा और गौरवपूर्ण रहा है। लेकिन आज गुरुओं को गुरु की संज्ञा नहीं दी जाती है। चाहे वह कोई आश्रम हो या स्कूल हो या कॉलेज। उन्हें गुरु की संज्ञा नहीं देते हैं। एक छात्र आरुणि भी थे। जो गुरु के सम्मान में कुछ भी कर गुजरते थे। एक छात्र एकलव्य थे। जिन्होंने गुरु दक्षिणा में अपना अंगूठा गुरु द्रोणाचार्य को दे दिए थे। परंतु आज ऐसा कहां होता है। यह भूल जाते हैं कि गुरु ही धर्म और समाज के नियामक रहे हैं। बरहाल, जीवन में शिक्षक का किरदार बहुत खास होता है, वे किसी के जीवन में उस बैकग्राउंड म्यूज़िक कि तरह होते हैं, जिसकी उपस्थिति मंच पर तो नहीं दिखती, परंतु उसके होने से नाटक में जान आजाती है। ठीक इसी
प्रकार हमारे जीवन मे एक शिक्षक की भी भूमिका होती है। चाहें आप जीवन के किसी भी पड़ाव पर हों, शिक्षक की आवश्यकता सबको पड़ती है। भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन है। वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे जो इन पदों पर आसीन होने से पहले एक शिक्षक थे। इसी कड़ी में बौंसी प्रखंड स्थित बिहार कौशल विकास मिशन द्वारा संचालित तकनीकी कौशल विकास केंद्र, एंजेल कंप्यूटर एजुकेशन सेंटर बौंसी में सेंटर के संरक्षक मदन मेहरा जी की अध्यक्षता में शिक्षक दिवस मनाया गया। इस अवसर पर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के तस्वीर पर माल्यार्पण कर संस्थान के संचालक कुमार चंदन एवं बच्चों द्वारा केक काटा गया। उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर बच्चों ने डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी पर भिन्न-भिन्न रूप से प्रकाश डाला। साथ ही सेंटर के संचालक कुमार चंदन के द्वारा भी डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी पर प्रकाश डाला गया और साथ ही तकनीकी शिक्षा के बारे में बताया गया। इस अवसर पर शीला झा, प्रीति झा, प्रवेश झा, सुमित झा, गुलाम शमशीर अहमद, वंदना कुमारी, अलका कुमारी, प्रियंका कुमारी, हेमलता कुमारी, शिवानी कुमारी, गुड़िया कुमारी, शर्मिला टूडू, शांति मरांडी, शिल्पी कुमारी,सागर कुमार सहित काफी संख्या में छात्र-छात्राऐं उपस्थित थे।
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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