रेवाड़ी (4 अगस्त) जिला मुख्यालय स्थित कानोड गेट पर न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड इंडिया आदि चार साधारण बीमा कम्पनियों के संयुक्त तत्वावधान में कर्मचारियों द्वारा सरकार की नीतियों के विरुद्ध एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया।
यूनाइटेड इंडिया एश्योरेंस के कमल यादव ने बताया कि पूरे भारत में सभी पीएसयू बीमा कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा आयोजित इस धरना प्रदर्शन में निजीकरण का विरोध किया जा रहा है। सरकार अपनी मनमानी के तहत सरकारी कम्पनियों को निजी हाथों में सौंपना चाहती है, जो कि गलत है। इससे लगभग 60-70 हजार कर्मचारी प्रभावित होगें और उनका भविष्य अंधकारमय हो जायेगा।
इस धरने में कर्मचारियों ने लोकसभा में GIBNA-1972 संशोधन अधिनियम के पारित होने का विरोध किया और इसे वापस लेने की मांग की। वेतन संशोधन का तत्काल समाधान और 'परिवार पेंशन @ 30% में सुधार' के साथ-साथ '1995 पेंशन योजना के तहत सभी कर्मचारियों के कवरेज' की भी जोरदार मांग की। इसके तहत पूरे भारत वर्ष में सभी सरकारी कम्पनियों के ऑफिस बंद रहे।
सरकारी कंपनियों ने कोराना के मुश्किल समय में भी आम लोगों को सर्विस देने के लिए सभी आफिस खोले थे। परिणामस्वरूप बहुत कर्मचारी इस दौरान कोरोना की वजह से अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए। इसके विपरीत प्राइवेट कंपनी ने शाखाएं बंद रखी और आम आदमी को बहुत परेशानी हुई थी।
यूनियनों, कर्मचारियों और अधिकारियों के संघ के संयुक्त मंच (ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन)
इस एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में यूनाइटेड इंडिया एश्योरेंस कंपनी से कमल यादव, कृष्ण कुमार, भावना यादव, मोनिका सरजीत, सतीश यादव, मुकेश, सरिता यादव, अशोक अग्रवाल, दीपिका, संजय रुस्तगी तथा नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से अनिल अग्रवाल, सुनील यादव, अजय मेंदीरत्ता, शर्मिन्द्र कुमार आदि कर्मचारी उपस्थित रहे।रेवाड़ी में न्यू इंडिया, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के संयुक्त तत्वाधान में कर्मचारियों द्वारा सरकार की नीतियों के खिलाफ बुधवार को एक दिन की सांकेतिक हड़ताल की गई. रेवाड़ी में कंपनी कर्मचारियों ने कंपनी के बाहर इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी की. कंपनी कर्मचारियों ने कहा की पूरे भारत में पीएसयू बीमा कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा निजी करण के विरोध में प्रदर्शन किया जा रहा है. सरकार अपनी मनमानी के तहत कंपनियों को निजी हाथों में सौंपना चाहती है जो की सरासर गलत है इससे 60 से 70 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे और उनका भविष्य अंधकार मय हो जाएगा. इस धरने में कर्मचारियों ने लोकसभा में जीआईपीएनए 1972 संशोधन के पारित होने का भी विरोध किया और इसे वापस लेने की मांग की गई वही वेतन संशोधन का तत्काल समाधान और परिवार पेंशन 30% में सुधार के साथ 1995 पेंशन योजना के तहत सभी कर्मचारियों की कवरेज की भी जोरदार मांग की गई इसके तहत पूरे देश भर में सभी ऑफिस बंद रहे. कर्मचारियों ने मांगे नहीं मानी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है
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