मनरेगा योजना में काम करते निबंधित मजदूर
ग्राम समाचार, जामताड़ा।नौकरियों में नियुक्ति, शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन समेत अन्य प्रकार के चल रहे योजनाओं में जातिगत आरक्षण वर्षों से निर्धारित है जिससे सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोग प्रभावित हो रहे हैं। अब मजदूरी काम से भी सामान्य वर्ग के मजदूरों को उपेक्षित किया जा रहा है। इस प्रकार के राज्य सरकार का निर्णय किसी भी मायने में न्याय संगत प्रतीत नहीं होता है। इस प्रकार की बातें ग्रामीण क्षेत्र में सामान्य वर्ग के मजदूरों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। अब राज्य सरकार के निर्देश के बाद मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले मजदूरों को जाति आधारित मजदूरी भुगतान की व्यवस्था शुरू हुई है। मजदूरी राशि भुगतान में सबसे पहले आदिवासी इसके बाद हरिजन इसके बाद पिछड़ी वर्ग के मजदूरों को प्राथमिकता दिया का रहा है। नारायणपुर के निबंधित मजदूर यूनुस अंसारी कहते हैं की मजदूरी भुगतान में जाति आधारित को प्राथमिकता देना सामान्य वर्ग के मजदूरों के साथ उपेक्षित है। जामताड़ा प्रखंड के निबंधित मजदूर रामलाल सिंह ने बताया मनरेगा योजना मजदूरों के लिए जीविका उपार्जन का साधन बना हुआ है महामारी की विषम परिस्थिति में उद्योग धंधे ठप हैं मजदूर अपने गांव में रहकर मनरेगा योजना में प्रतिदिन काम कर रहे हैं लेकिन अब राज्य सरकार के निर्देश के बाद सामान्य वर्ग के मजदूर ही नहीं बल्कि अन्य जाति के मजदूरों को भी मजदूरी राशि भुगतान के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ेगा। सरकार के ऐसे निर्णय लें सामान्य वर्ग के मजदूर के दिल में आहट पहुंचाया है। मजदूरी राशि भुगतान प्रक्रिया में जाति आधारित मजदूरों को प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए नहीं तो किसी खास वर्ग के मजदूर आहत होंगे।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें