Bhagalpur News:आजादी आंदोलन और अंग क्षेत्र के नायक विषय पर व्याख्यान का आयोजन


ग्राम समाचार, भागलपुर। पीस सेंटर,परिधि और "सेन्टर फ़ॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड सेकुलरिज्म मुम्बई" द्वारा स्वतंत्रता के 75 में वर्षगांठ के अवसर पर "आजादी आंदोलन और अंग क्षेत्र के नायक" विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। स्वतंत्रता आंदोलन  में खुद को न्योछावर कर देने वाले अंग क्षेत्र के नायकों को याद करने और उन्हें नमन करने के लिए आयोजित इस वेबिनार में कई प्रखंडों के लोग शामिल हुए। मुख्य वक्ता टीएनबी कॉलेज के इतिहास के सहायक प्राध्यापक डॉ. रविशंकर कुमार चौधरी ने कहा कि अंग क्षेत्र का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में समृद्ध है। ‘'भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में लिखा गया है। लेकिन आम जन के संघर्ष और उनके त्याग को विस्मृत कर दिया गया है। क्षेत्रीय स्वतंत्रता आंदोलन माइक्रोस्कोप की तरह है, इसलिए आवश्यक है कि स्वाधीनता संग्राम को आम आदमी के नजरिये से क्षेत्रीय स्तर पर इतिहास पुन: लिखा जाए।'’ डॉ. चौधरी ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम के कालखंड में अंग प्रदेश का उदय नहीं हुआ था। उन्होंने इतिहास के संदर्भ में कहा कि अंग प्रदेश का उल्लेख छठीं शताब्दी में मिलता है। उपलब्ध तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दानवीर कर्ण की राजधानी हुआ करती थी। उन्होंने इतिहास में उपलब्ध जानकारी के आधार पर बताया कि अंग प्रदेश सम्राट अशोक  का ननिहाल था। स्वाधीनता संग्राम की चर्चा करते हुए डॉ. चौधरी ने कहा कि तिलका मांझी ने बगावत का पहला बिगुल फूंका था। उन्होने गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई थी। गांधीजी के प्रवेश के बाद अंग प्रदेश में स्वाधीनता संग्राम में एक नई उबाल आयी। 1920 में गांधीजी पहली बार भागलपुर पहुंचे थे। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि शैतान को सत्य और अहिंसा से पराजित किया जा सकता था। पूर्ण स्वराज और असहयोग आंदोलन की चर्चा करते हुए शराबबंदी, जाति वैमनस्य के बारे में भी लोगों को सचेत किया। उन्होंने स्वाधीनता संग्राम के अनेक परिचित और अज्ञात वीर सेनानियों का उल्लेख करते हुए कई प्रसंग सुनाये। 1942 के आंदोलन के समय गली गली में यह गीत "आओ बीरो मर्द बनो अब जेल तुम्हें जाना होगा " गया जाता और लोगों को जुटाया जाता। अगस्त क्रांति में लोक सेनानियों को गिरफ्तार कर लिया गया। अंग क्षेत्र के स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों में बाबू दीप नारायण सिंह, उपेंद्र नाथ मुखर्जी उर्फ पटल बाबू, बाबू सिया राम सिंह, महेंद्र गोप, परशुराम सिंह, पार्थ ब्रह्मचारी, कैलाश बिहारी लाल, रास बिहारी लाल, शुभकरण चूड़ीवाला, शहीद मुंशी साल, सरदार नित्यानंद सिंह, पंडित मेवालाल झा, सतीश झा, निशिकांत मिश्रा, आनंद मोहन सहाय, भारती चौधरी आशा, बनारसी प्रसाद गुप्ता, शहीद शशि प्रसाद सिंह, उदय नारायण सिंह, सुखदेव चौधरी, सतीश झा इत्यादि सहित निचले तबके के स्वतंत्रता सेनानी जो शहीद हुए एवं घायल हुए, के योगदान की चर्चा की इस अवसर पर शिक्षक पवन कुमार ने रामपुर खड़हरा के स्वतंत्रता सेनानी स्व कार्तिक यादव को याद करते हुए कहा कि ये स्वतंत्रता सेनानी तो थे ही एक अच्छे कवि भी थे। मंच पर पहुंचकर सामाजिक व राजनैतिक चेतना के कविता का लयबद्ध पाठ करते और स्रोताओं में जोश भर देते। इस अवसर पर सार्थक भरत, मृदुला सिंह, लाडली राज, हबीब मुर्शिद खां, दीप प्रिया, राहुल निभाष मोदी, पवन कुमार, केजी पंडित, कोमल श्री,  कुमार, आनंद सिंह, प्रीतेश कुमार,कृष्णानंद सागर, अभिजीत, चतुरी,सुषमा,विकास कुमारी, डॉ वसीम राजा,संगीता कुमारी, शाहिद राज़मी, स्मिता कुमारी, आदि मौजूद थे।

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Editor - Bijay shankar

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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