रेवाड़ी, 30 मार्च। स्थानीय बाल भवन में आज जिला बाल संरक्षण यूनिट द्वारा विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) व मीडिया प्रतिनिधियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में किशोर न्याय और पोक्सो के अधिनियमों के नियमों बारे में जानकारी दी गई।
इस प्रशिक्षण शिविर में डिप्टी डीए आर के श्योराण ने बताया कि 18 वर्ष से कम आयु के लडक़े व लड़कियां इस कानून की मदद ले सकते है। बच्चों को अपराध घटित होने पर तुरन्त विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती हैं तथा बच्चों का मैडिकल करवाया जाता हैं व काउंसिलिग हेतु बाल कल्याण कमेटी में पेश किया जाता है। उत्पीडित करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाती है। उन्होंने कहा कि बच्चों से संबंधित नियम का पालन आवश्यक है। अधिनियम का सही से पालन न करने पर सजा व जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि जागरूक अभियान के तहत बाल अधिकार में जीवन जीने का अधिकार, सहभागिता का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार व विकास का अधिकार शामिल है।
अधिवक्ता मंजू रानी ने इस अवसर पर कहा कि पोक्सो के केश दिन प्रतिदिन बढते जा रहें हैं। इन केशो का बढऩे का क्या कारण है उन कारणों की तह तक जाना होगा। समाज में बढती जा रही इस बुराई को केवल कानून के द्वारा समाप्त नहीं किया जा सकता, बल्कि समाज को जागरूक भी करना होगा। यदि 18 वर्ष से कम आयु का बच्चा कोई अपराध करता है तो वह किस नियम के अन्तर्गत आता हैं, सबसे पहले उस बच्चे की काउंसिलग करनी होगी कि उसको क्या सहायता चाहिए। बाल कल्याण समिति ऐसे बच्चों की सुनवाई करतीं हैं। ऐसे बच्चे को 24 घंटे के अन्दर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना जरूरी है। यदि अपराध ऐसा हैं कि उसे कस्टडी में रखा जाना है तो उसे बाल संरक्षण के तहत ही रखा जायेगा। सीडब्ल्यूसी में काउंसिलर होना जरूरी है। मीडिया द्वारा बालक की पहचान को उजागर नहीं करना होगा। रात के समय में बच्चे को पुलिस स्टेशन में नहीं रखना होगा।
किस तरह के अपराध बाल यौन शोषण की श्रेणी में आते हैं:- बच्चों के यौन अंगों से जुड़े अपराध, बिना शारीरिक सम्पर्क बनाए यौन उत्पीडऩ, बच्चों का अश्लील फोटो या वीडियो दिखाना व वीडियो बनाना, शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए उकसाना या प्रयास करना, बच्चे के निजी अंगों को बुरी नियत से छूने से सम्बंधित अपराध, बच्चे का पीछा करना, बच्चों पर अश्लील व्यंग्य करना।
कहां रिपोर्ट करें:-
ऐसा होने पर बच्चे सबसे पहले अपने माता-पिता, अध्यापक या जिस पर वो अधिक विश्वास करते है उन्हें बताये, पुलिस थाने में जाकर एफआईआर करवाये, बाल कल्याण समिति से सम्पर्क करे, या जिला बाल संरक्षण इकाई व चाइल्ड लाईन 1098 को भी बता सकतें हैं। इस प्रशिक्षण शिविर में उप पुलिस अधीक्षक हंसराज, चेयरपर्सन कुसुम लता, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास संगीता यादव, डीसीपीओ दीपिका, रेखा सहित विभिन्न थानों के प्रतिनिधि व मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित रहे।



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