Bhagalpur News:नरगाकोठी में आचार्य कार्यशाला
ग्राम समाचार, भागलपुर। गणपत राय सालारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर एवं पूरनमल सावित्री देवी बाजोरिया सरस्वती शिशु मंदिर नरगा कोठी के प्रांगण में चल रहे आचार्य कार्यशाला के दूसरे दिन का प्रारंभ भारती शिक्षा समिति के प्रदेश सचिव प्रकाश चंद्र जायसवाल, भारती शिक्षा समिति के प्रदेश सह सचिव प्रदीप कुमार कुशवाहा, प्रधानाचार्य रामजी प्रसाद सिन्हा, उप प्रधानाचार्य अशोक मिश्र, शिशु मंदिर के प्रभारी जितेंद्र प्रसाद द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। प्रकाश चंद्र जायसवाल ने कहा कि हम सब भावी पीढ़ी के निर्माण में लगे हैं। आचार्य को मनुष्यों का निर्माता, राष्ट्र निर्माता, शिक्षा पद्धति की आधारशिला, समाज को गति प्रदान करने वाला माना जाता है। विपरीत परिस्थितियों में अपने अस्तित्व को टिकाए रखना अपना विजन होना चाहिए। परिस्थिति के अनुसार हमें बदलना है अन्यथा अस्तित्व मिट जाएगा। जीने की शिक्षा के साथ-साथ जीवन की शिक्षा बालकों को देना है। गृह कार्य बच्चों के अंदर पंक्चुअलिटी एवं प्रायरिटी लाती है जिससे समय पालन, कार्य के प्रति आत्मनिर्भरता एवं नित्य नया सीखने की प्रवृत्ति जागृत होती है। इसलिए नए-नए तरीकों को सीखना सिखाना एवं सीखने के लिए बालकों में उत्सुकता लाने की जिज्ञासा शैक्षिक गतिविधियों में लाना है। जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु बालक एवं अभिभावक को जोड़कर समाज में जागरण लाने का कार्यक्रम समय-समय पर करना है। अपने विद्यालय का मूल्यांकन करते हैं। शासन, प्रशासन, नेतृत्व, अध्ययन- अध्यापन इन चार स्तंभों पर विद्यालय स्थापित करना है तभी विद्या भारती के लक्ष्य की पूर्ति होगी। विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्याली राम जी ने कहा कि हम अपना कर्तव्य दायित्व बालक के साथ अवश्य निभाए। विद्यालय सीखने सिखाने का केंद्र है। बालक के अंदर ज्ञान का भंडार है हम सिर्फ उसके छुपे हुए ज्ञान को बाहर निकालते हैं। बच्चे को वायुमंडल देने का कार्य करते हैं, शिक्षा ग्रहण करने का वातावरण बनाते हैं। बालक को संस्कृति, कला के साथ-साथ सभी विषयों से जोड़ना है। विद्या भारती का लक्ष्य व्यवहार में लाना है। रामजी प्रसाद सिन्हा ने कहा कि बच्चों के विकास के लिए घर-घर संपर्क कर घर के परिवेश को देखना तथा अभिभावक से बालकों की संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर उसका निराकरण करना है। भाषा शिक्षण को प्रभावी एवं मजबूत बनाना है। अशोक मिश्र ने अधिकारी परिचय कराते हुए कहा कि इस कार्यशाला में बालकों के लिए स्वस्थ एवं संतुलित कार्य योजना का निर्माण होगा। डॉक्टर संजीव झा ने मंच संचालन करते हुए कहा की शिक्षा व्यवसाय नहीं है शिक्षा दायित्व है जिसे निष्ठा पूर्वक निर्वहन करना चाहिए। अपने विकास के लिए हिचकिचाइये नहीं अपने आप को अपग्रेड करते रहिए। आज के कार्यशाला में वंदना सभा, बाल विकास, आचार्य विकास, समिति विकास, अभिभावक विकास, शैक्षिक एवं सह शैक्षिक क्रियाकलाप, समय सारणी, पाठ्यक्रम क्रियान्वयन, गृहकार्य एवं कक्षाकार्य पर पांच सत्रों में विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। इस अवसर पर ख्याली राम जी, प्रकाश चन्द्र जायसवाल, प्रदीप कुमार कुशवाहा, रामजी प्रसाद सिन्हा, अशोक मिश्र, जितेन्द्र प्रसाद, डॉ संजीव झा, अभिमन्यु कुमार, अजय कुमार, अमरेन्द्र कुमार, महेश कुमर,शेखर झा, मनोज तिवारी, लिली कुमारी, दीपक कुमार झा, शशि भूषण मिश्र एवं विद्या मंदिर और शिशु मंदिर के सभी आचार्य/आचार्या उपस्थित थे।
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