ग्राम समाचार, पाकुड़। शनिवार को स्थानीय विद्यालय डी ए वी पब्लिक स्कूल, गोकुलपुर पाकुड़ में डी ए वी संस्थान के जनक एवं उत्तर भारत के पूर्व निदेशक महात्मा नारायण दास ग्रोवर जी को उनके 14वीं पुण्यतिथि पर याद किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत विद्यालय के परंपरागत प्रथा वैदिक हवन के आयोजन के साथ किया गया। तत्पश्चात महात्मा ग्रोवर जी के तस्वीर पर प्राचार्य डॉ विजय कुमार द्वारा पुष्प अर्पित कर श्रधांजलि दी गयी। इस मौके पर विद्यालय के संगीत शिक्षिका द्वारा उनके याद में एक भजन प्रस्तुत किया गया। प्राचार्य डॉ कुमार ने इस अवसर पर आंखे नम करते हुए बताया कि गांधीजी के विचारों से प्रभावित होकर इन्होंने अपने सारा जीवन जनकल्याण के लिए अर्पित कर दिया। उत्तर भारत मे इन्होंने सैकड़ों डी ए वी संस्थान की आधारशिला रखी। झारखंड के खूंटी में इन्होंने नेत्र चिकित्सालय स्वामी दयानंद नेत्रालय के नाम से स्थापना की जहां गरीबों एवं जरूरतमंद का निःशुल्क इलाज किया जाता है। इस सच्चे कर्मयोगी को इनके अनुयायी प्यार से झोले वाला बाबा भी बुलाते थे। वास्तव में ये एक महान शिक्षक, कर्मयोगी समाज सुधारक एवं दार्शनिक के रूप में विख्यात थे। 6 फरवरी 2008 को इस महान आत्मा ने अंतिम सांस ली। सारा डी ए वी परिवार इनको शत शत नमन करता है।
Pakur News: पुण्यतिथि पर याद किये गए डी ए वी के जनक ग्रोवर जी
ग्राम समाचार, पाकुड़। शनिवार को स्थानीय विद्यालय डी ए वी पब्लिक स्कूल, गोकुलपुर पाकुड़ में डी ए वी संस्थान के जनक एवं उत्तर भारत के पूर्व निदेशक महात्मा नारायण दास ग्रोवर जी को उनके 14वीं पुण्यतिथि पर याद किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत विद्यालय के परंपरागत प्रथा वैदिक हवन के आयोजन के साथ किया गया। तत्पश्चात महात्मा ग्रोवर जी के तस्वीर पर प्राचार्य डॉ विजय कुमार द्वारा पुष्प अर्पित कर श्रधांजलि दी गयी। इस मौके पर विद्यालय के संगीत शिक्षिका द्वारा उनके याद में एक भजन प्रस्तुत किया गया। प्राचार्य डॉ कुमार ने इस अवसर पर आंखे नम करते हुए बताया कि गांधीजी के विचारों से प्रभावित होकर इन्होंने अपने सारा जीवन जनकल्याण के लिए अर्पित कर दिया। उत्तर भारत मे इन्होंने सैकड़ों डी ए वी संस्थान की आधारशिला रखी। झारखंड के खूंटी में इन्होंने नेत्र चिकित्सालय स्वामी दयानंद नेत्रालय के नाम से स्थापना की जहां गरीबों एवं जरूरतमंद का निःशुल्क इलाज किया जाता है। इस सच्चे कर्मयोगी को इनके अनुयायी प्यार से झोले वाला बाबा भी बुलाते थे। वास्तव में ये एक महान शिक्षक, कर्मयोगी समाज सुधारक एवं दार्शनिक के रूप में विख्यात थे। 6 फरवरी 2008 को इस महान आत्मा ने अंतिम सांस ली। सारा डी ए वी परिवार इनको शत शत नमन करता है।
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