ग्राम समाचार,बौंसी,बांका।
आदिवासी जनजातियों के जल जमीन और जंगल के हक की लड़ाई के लिए गुरुवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण जनसभा के जरिए दी गई। प्रखंड अंतर्गत सरूआ पंचायत के रतनसार चंदवैगढ़ मैदान में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासियों को वन अधिकार की मान्यता के लिए प्रशिक्षित किया गया। कार्यक्रम में बिहार एकता परिषद पटना के संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा वनाधिकार एक गंभीर समस्या है। इसके अस्तित्व को हम इससे अलग रहकर नहीं बचा सकते। जैसे जल से मछुआरे जमीन से किसान अलग हो जाए तो मानव जीवन के साथ जल, जमीन और जंगल का अस्तित्व मिट जाएगा। अधिकार को
पाने के लिए अधिकार को जानना भी जरूरी है। कार्यक्रम में प्रखंड प्रमुख बाबूराम बास्के, वन अधिकार समिति के जिला सदस्य सोनेलाल किस्कू, जिला परिषद सदस्य गणेश मुर्मू और स्थानीय बिरसा सोरेन आदि ने भागीदारी की। एक दिवसीय प्रशिक्षण सभा में ग्रामीण आदिवासियों को वन अधिकार की मान्यता अधिनियम 2006, नियम-2008, संशोधित नियम-2012 की विस्तृत जानकारी दी गई। पिछले दिनों रतनसार सहित आसपास गांव में आदिवासी जनजातियों की खतियानी, गैरखतियानी एवं बंदोबस्ती जमीन जहांं पुश्तैनी अधिकार है। उसे वन विभाग कर्मी डिमार्केशन करते घेराबंदी कर रहे थे। जिसे एकजुट होकर आदिवासियों ने रोकने का काम किया है।
कुमार चंदन, ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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