ग्राम समाचार, बौंसी, बांका।
वन विभाग के रतनसार पहाड़ी क्षेत्र के चारों ओर जेसीबी द्वारा ट्रेंच काटकर घेराबंदी का कार्य किया जा रहा था। जल, जंगल व जमीन के मालिकाना हक को लेकर, गांव के 100 से अधिक आदिवासी रविवार को पारंपरिक हथियारों के साथ प्रदर्शन करते हुए ढोल, नगाड़ा बजाकर वन विभाग के द्वारा किए जा रहे घेराबंदी का विरोध किया। पिछले 10 दिनों से यहां पर कार्य कराया जा रहा था। जमीन घेराबंदी को लेकर आमगाछी, टिकरटोला और रतनसार के ग्रामीणों ने
पहले भी विरोध किया था। लेकिन वन कर्मियों के द्वारा यहां पर कार्य कराया जा रहा था। आक्रोशित आदिवासियों ने जेसीबी को जलाने का प्रयास किया और उसके खलासी विजय कुमार के साथ मारपीट भी की गई। खलासी डर से फरार हो गया है। आदिवासियों का कहना है कि, अपनी पुश्तैनी जमीन के लिए जान दे देंगे, लेकिन वन विभाग को अपनी खेती की जमीन को घेरने नहीं देंगे। बिरसा सोरेन ने बताया कि, तकरीबन 50 एकड़ के करीब धान और रब्बी के गेहूं आदि की फसल उगाने वाली यह जमीन है। जिस पर 100 वर्षों से रतनसार के आदिवासी जनजाति परिवार के लोग खेती करते आए हैं। जिसमें कुछ जमीन सरकार द्वारा बंदोबस्ती मिला है। जिसका लगान रसीद देते आ रहे हैं। कुछ जमीन खतियानी रैयती भी है और इस जमीन पर एक 100 साल से दखलकार होकर खेती करते आ रहे हैं। आदिवासी जनजाति परिवार के सदस्य काफी रोष में थे। रतनसार के सोम हांसदा, पगान हांसदा, दुर्गा, श्यामलाल, शिवचरण आदि थे। जिस समय घेराबंदी के लिए जेसीबी द्वारा खुदाई की जा रही थी। उस समय ढोल नगाड़ा बजा के पारंपरिक हथियारों में तीर-धनुष, भाला-बरछी, तलवार, टांगी, फरसा लिए आदिवासी महिला, पुरुष, बाल बच्चों के साथ खेतों पर आ धमके। इसके बाद कार्य कर रहे जेसीबी ड्राइवर गाड़ी छोड़कर भाग गए। वन विभाग के कोई भी अधिकारी या कर्मी मौजूद नहीं थे। रेंजर अरुण कुमार सिंह ने बताया कि, वन विभाग की जमीन पर पौधरोपण के लिए जेसीबी से ट्रेंच खोदा जा रहा है। वन भूखंड के लिए एक महीना तक इस सर्वेक्षण हुआ था। उस समय किसी ने भी आपत्ति या दावा नहीं किया था। जिनका जमीन होगा, वह कागजात दिखाएंगे। वरीय अधिकारियों के निर्देश पर इसका समाधान किया जा सकेगा।
कुमार चंदन, ग्राम समाचार संवाददाता, बौंसी।
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