ग्राम समाचार गोड्डा, ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में प्रसार कार्यकर्त्ताओं का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण का विषय "ग्रामीण क्षेत्र में चारा एवं चारा फसल चक्र" है। पशुपालन वैज्ञानिक डाॅ0 सतीश कुमार ने प्रसार कार्यकर्त्ताओं को पशुओं को स्वस्थ रखने हेतु खिलाने के लिए हरा चारा जैसे-बरसीम, नेपियर घास, अजोला, हाइड्रोपोनिक्स, सुबबूल, सहजन, कटहल आदि के उत्पादन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चारे की फसल जो मुख्यतया पशुओं को हरे अवस्था में प्राय: फूल आने के पहले खिलाया जाता है, उसे हरा चारा फसल कहते हैं। पशुओं को खिलाने के लिए हरा चारा 20% तथा 2% शुष्क पदार्थ होना चाहिए। हरे चारे में 16 से 20% प्रोटीन की मात्रा होती है। अधिक चारा उत्पादन होने पर या चारे की कमी वाले समय के लिए चारे को रखने की क्रिया को चारा संरक्षण कहते हैं। चारे का संरक्षण प्राय: है या साइलेज बनाकर किया जाता है। किसान भाई घर में ही ट्रे में मकई का हाइड्रोपोनिक्स तथा अजोला तैयार कर सकते हैं। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डाॅ0 रितेश दुबे ने वेस्ट डीकम्पोजर का घोल तैयार करने की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 200 लीटर की क्षमता वाले प्लास्टिक के ड्रम में 200 लीटर पानी, 2 किग्रा. गुड़ एवं वेस्ट डीकम्पोजर मिलाकर एक सप्ताह में घोल तैयार किया जाता है। वेस्ट डीकम्पोजर के तैयार घोल से जैविक खाद तथा जैविक कीटनाशी तैयार कर सकते हैं। जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशी का प्रयोग सभी फसलों, सब्जियों तथा फलों में कर सकते हैं। इंडियन बैंक के वित्तीय साक्षरता पदाधिकारी अनूप कुमार ने किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना के विषय में विस्तृत जानकारी दी। सभी प्रसार कार्यकर्त्ताओं को सुबबूल का पोधा एवं अजोला वितरित किया गया। पंचानंद यादव, संदीप कुमार, मंटू यादव, अजीत कुमार, रूपेश पंडित आदि प्रसार कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
GoddaNews: चारा फसल चक्र पर एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया
ग्राम समाचार गोड्डा, ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में प्रसार कार्यकर्त्ताओं का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण का विषय "ग्रामीण क्षेत्र में चारा एवं चारा फसल चक्र" है। पशुपालन वैज्ञानिक डाॅ0 सतीश कुमार ने प्रसार कार्यकर्त्ताओं को पशुओं को स्वस्थ रखने हेतु खिलाने के लिए हरा चारा जैसे-बरसीम, नेपियर घास, अजोला, हाइड्रोपोनिक्स, सुबबूल, सहजन, कटहल आदि के उत्पादन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चारे की फसल जो मुख्यतया पशुओं को हरे अवस्था में प्राय: फूल आने के पहले खिलाया जाता है, उसे हरा चारा फसल कहते हैं। पशुओं को खिलाने के लिए हरा चारा 20% तथा 2% शुष्क पदार्थ होना चाहिए। हरे चारे में 16 से 20% प्रोटीन की मात्रा होती है। अधिक चारा उत्पादन होने पर या चारे की कमी वाले समय के लिए चारे को रखने की क्रिया को चारा संरक्षण कहते हैं। चारे का संरक्षण प्राय: है या साइलेज बनाकर किया जाता है। किसान भाई घर में ही ट्रे में मकई का हाइड्रोपोनिक्स तथा अजोला तैयार कर सकते हैं। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डाॅ0 रितेश दुबे ने वेस्ट डीकम्पोजर का घोल तैयार करने की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 200 लीटर की क्षमता वाले प्लास्टिक के ड्रम में 200 लीटर पानी, 2 किग्रा. गुड़ एवं वेस्ट डीकम्पोजर मिलाकर एक सप्ताह में घोल तैयार किया जाता है। वेस्ट डीकम्पोजर के तैयार घोल से जैविक खाद तथा जैविक कीटनाशी तैयार कर सकते हैं। जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशी का प्रयोग सभी फसलों, सब्जियों तथा फलों में कर सकते हैं। इंडियन बैंक के वित्तीय साक्षरता पदाधिकारी अनूप कुमार ने किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना के विषय में विस्तृत जानकारी दी। सभी प्रसार कार्यकर्त्ताओं को सुबबूल का पोधा एवं अजोला वितरित किया गया। पंचानंद यादव, संदीप कुमार, मंटू यादव, अजीत कुमार, रूपेश पंडित आदि प्रसार कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
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