Chandigarh News : कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन ने गुरुग्राम में CRPF की परेड के आयोजन पर उठाए सवाल



ग्राम समाचार न्यूज : हरियाणा : अभी दो दिन पहले पांपोर, पुलवामा में 110 बटालियन सीआरपीएफ के सिपाही धीरेन्द्र त्रिपाठी व शैलेन्द्र प्रताप सिंह आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गए जिनका अंतिम संस्कार उनके पैत्रक गांव में किया गया जोकि क्रमशः मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश के निवासी थे। आज ही के दिन आरएएफ की वर्षगांठ के अवसर पर सीआरपीएफ गुरुग्राम में एक भव्य शानदार परेड का आयोजन किया गया जिसकी सलामी नित्यानंद राय जी ग्रह राज्यमंत्री द्वारा ली गई।

कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ये किस तरह का सम्मान है हमारे शहीदों का ? क्या गुजरेगी उन शहीदों के परिजनों पर जिन्होंने राष्ट्र की खातिर अपना सर्वस्व कुर्बान कर दिए। 

क्या डीजी सीआरपीएफ द्वारा इस भव्य आयोजन समारोह को टाला जा सकता था ? क्या इस बारे समय पर ग्रह मंत्रालय को सुचित नहीं किया गया जबकि कोविड महामारी के चलते इस साल सीआरपीएफ वर्षगांठ परेड पहले ही कैंसिल कर दी गई थी।



महासचिव ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि एक तरफ़ सिपाहियों के अंतिम संस्कार में अंतिम मातमी बिगुल बज रहा था तो दुसरी ओर सरकारी तंत्र, डीजी सीआरपीएफ ओर उनके मातहत सलामी लेने-देने में मशगूल थे। वर्तमान सरकार सबसे बड़ा देशभक्त होने का दावा करते हैं लेकिन इससे बड़ा भद्दा मजाक ओर क्या हो सकता है शहीदों के लिए। इससे बड़ा शहादत के साथ खिलवाड़ एवं भेदभाव का ताजा उदाहरण शायद ही देखने को मिले ? 

रणबीर सिंह के कहे अनुसार हालांकि शहादत का कोई मोल नहीं होता लेकिन एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार शहीद धीरेन्द्र त्रिपाठी के परिवार को सम्मान राशि के तौर पर एक करोड़ रुपए की सहायता का ऐलान किया जबकि दूसरी ओर उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा मात्रा पचास लाख राशि की घोषणा की गई। एक तरफ़ सरकारें मैडल जीतने वाले खिलाड़ियों को तीन से पांच करोड़ रुपए इनाम के तौर पर देती है तो दुसरी ओर जो जवान देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करे उसके लिए इस तरह की धनराशि क्यों नहीं। कौन देखभाल करेगा उसके बुढ़े मां बाप की ? कोन संस्था खर्च वहन करेगी शहीद परिवारों की शिक्षा स्वास्थय एवं बच्चों की शादी-ब्याह का ? *कौन लौटाएगा उस का चांद जिससे वो घंटों बतिया कर उलहाने दिया करती कि इस बार करवा चौथ पर घर जरूर आना*।  आजकल एक चलन सा बन गया है कि ट्वीट किया ओर चलते बने। समय की मांग है कि हर राज्य में अर्धसेनिक बलों के जवानों,परिवारों एवं विधवाओं के पुनर्वास एवं कल्याण हेतु अर्धसेनिक कल्याण बोर्ड की स्थापना की जाए। शहीद सम्मान राशि को बढ़ाकर कम से कम एक करोड़ रुपए किया जाए साथ ही ऐसे गमगीन माहौल में इस तरह के भव्य परेड आयोजनों से परहेज़ किया जाए।

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Editor - राजेश शर्मा : रेवाड़ी (हरि.) - 9813263002

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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