Editorials : प्रताप की प्रतिभा संभाल पाया देश



देश के लिए सुखद रहा कि प्रताप एन.एम. ने देशभक्ति चुनी और डीआरडीओ में वैज्ञानिक का पद स्वीकार कर लिया। अब प्रताप एन.एम. अपनी प्रतिभा और खोज से देश को लाभान्वित करेंगे, देश का नाम रोशन करेंगे। प्रताप एन.एम. ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील सुनी और अमेरिका, फ्रांस आदि देशों की रक्षा कंपनियों से मिले ऑफर को ठुकरा दिया। नरेन्द्र मोदी ने तत्परता दिखाते हुए इस प्रतिभा पलायन को सिर्फ रोका ही नहीं बल्कि देशभक्ति को जगाते हुए देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रेरणा भी दी है। अन्यथा डीआरडीओ इस युवा और प्रतिभाशाली ड्रोन वैज्ञानिक की सेवा से वंचित हो जाता। इसलिए कि इस युवा वैज्ञानिक को अपनी ओर खींचने के लिए दुनियाभर के रक्षा संस्थानों में प्रतिस्पर्द्धा चल रही थी, मुहमांगा पैकेज दिया जा रहा था।
भारत वर्षों से प्रतिभा पलायन का शिकार है। देश में प्रतिभाओं की पहचान और उनका संवर्द्धन का गणित ठीक नहीं है, प्रतिभाएं नजरअंदाज की जाती रही हैं, प्रतिभाओं को उचित सम्मान और जगह भी नहीं मिलती हैं, अफसरशाही और भाई-भतीजावाद में भी प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं। हमारी प्रतिभाओं की खोज और कर्मठता से अमेरिका और यूरोप के देश न केवल लाभान्वित होते हैं बल्कि तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल करते हैं। भारतीय मूल के कई वैज्ञानिकों को विज्ञान का नॉबेल पुरस्कार मिला है? आज अमेरिका और यूरोप के रक्षा संस्थानों और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में काम करने वाली अधिकतर प्रतिभाएं भारतीय हैं।
प्रताप एन.एम. ने बताया कि जब हौसला असीम हो, मेहनत और समर्पण हो तो फिर जरूरी साधन भी गौण हो जाते हैं। प्रताप एन.एम. के पास न तो संसाधन थे, न ही संसाधनों को एकत्रित करने के लिए जरूरी धनराशि, पारिवारिक बैंकग्राउंड भी सामान्य था, परिवार में विज्ञान से जुड़ा कोई व्यक्ति नहीं था। प्रोत्साहन भी दूर-दूर तक नहीं था। कोई गंभीरता के साथ लेने के लिए तैयार नहीं था। हर जगह शर्मिन्दगी, उपहास उड़ाते लोग सामने होते थे। कोई विश्वास करने के लिए तैयार नहीं था कि यह छोटा-सा बालक ड्रोन जैसी तकनीकी के संबंध में जो बड़ी-बड़ी बातें करता है वह सही है। मगर, उसने अपने विश्वास को डगमगाने नहीं दिया। कहते हैं कि जब हौसला होता है, हौसले को पूरा करने के लिए समर्पण व संघर्ष करने की क्षमता होती है तो फिर बड़े से बड़े लक्ष्य भी गौण हो जाते हैं।
प्रताप एन.एम. सिर्फ 22 साल के युवा हैं। इस 22 साल की उम्र में ही उनकी उपलब्धि बेजोड़, अतुलनीय और आश्चर्य में डालनी वाली है। उनकी उपलब्धियां सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चर्चा के विषय बनी हैं। अब तक वे 600 से अधिक ड्रोन बना चुके हैं। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इनके द्वारा बनाया गया ड्रोन अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अचूक होते हैं। इनके द्वारा बनाये गये ड्रोन आपातकाल में जीवनदायिनी भूमिका निभाते हैं। कर्नाटक में आयी बाढ़ के समय इनके ड्रोन का परीक्षण किया गया था। खासकर दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें प्रताप के बनाये ड्रोन से बाढ़ पीडि़तों के बीच पहुंचायी गयी थी। रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रताप का ड्रोन सीमा सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। खास कर लद्दाख क्षेत्र में प्रताप के ड्रोन की सेवाएं ली जा रही हैं। आज हमारे जीवन में ड्रोन की जरूरत बढ़ी है। खेती से लेकर आपातकाल, आपदाकाल और सुरक्षा के क्षेत्र में ड्रोन की दखल और जरूरत बढ़ी है। प्राय: हर देश ड्रोन तकनीकी के क्षेत्र में आगे आना चाहते हैं। अब तो हथियारों की आपूर्ति और जासूसी के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल आसानी से हो रहा है। पाकिस्तान बार-बार सीमा के नजदीक ड्रोन से हथियार भेजता है जिन्हें सुरक्षा बलों ने कई बार मार भी गिराया है।
प्रताप एन.एम. कहते है कि उन्हें 14 साल की उम्र में ड्रोन के प्रति दिलचस्पी जगी थी। उन्होंने ई-कचरे से ड्रोन को उठाकर उसके आंतरिक स्थिति का अध्ययन किया। उसके पास पैसा नहीं होने की बड़ी समस्या थी। इस कारण ई-कचरे पर उन्हें निर्भर रहना पड़ा। ई-कचरे को एकत्रित कर उन्होंने ड्रोन बनाना और उड़ाना शुरू कर दिया। प्रताप के बनाये ड्रोन चित्र लेने भी में सक्षम हैं। प्रताप के ड्रोन दुनियाभर के विभिन्न रक्षा प्रदर्शनियों में भाग लेकर पुरस्कार जीत चुके हैं। जर्मनी के हनोहर में हुए अंतर्राष्ट्रीय ड्रोन एकस्पो 2018 में आईस्टीन इनोवेशन गोल्ड मेडल का पुरस्कार प्रताप हासिल कर चुके हैं। आईआईटी मुंबई सहित अन्य कई तकनीकी संसाधनों में प्रताप व्याख्यान भी दे चुके हैं। इसके अलावा विदेशों में भी व्याख्यान देने के लिए जाते रहते हैं।
आज के युवा वर्ग को प्रताप एन.एम. से प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने मात्र 22 साल की उम्र में जो उपलब्धियां हासिल की हैं वह दुनियाभर में एक बेमिसाल उदाहरण है। खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा होनी चाहिए कि उन्होंने प्रताप एन.एम. की प्रतिभा और देश की उनकी जरूरत को समझा, प्रताप को डीआरडीओ में काम करने के लिए प्रेरित किया और सम्मानपूर्ण पैकेज दिलाया। अब देश के अंदर प्रतिभा पलायन पर गंभीरतापूर्ण विचार करने की आवश्यकता है। हम करोड़ों और अरबों खर्च कर प्रतिभाएं तलाशते हैं, प्रतिभाएं तैयार करते हैं फिर ये प्रतिभाओं का लाभ अमेरिका और यूरोप जैसे देश उठाते हैं। यह देश की ही कमजोरी है। इस कमजोरी को हमें दूर करना होगा। प्रतिभाओं को उचित सम्मान देना हमें सीखना होगा।

सौजन्य : दैनिक ट्रिब्यून 
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Editor - MOHIT KUMAR

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