Bhagalpur News:मजदूर कानूनों को खत्म किए जाने के खिलाफ मजदूरों का मोदी सरकार पर हल्ला-बोल, ऐक्टू व माले से जुड़े हजारों गरीब-मजदूरों ने अलग-अलग स्थानों पर प्रतिवाद कर किया आर-पार की लड़ाई का एलान


ग्राम समाचार, भागलपुर। मोदी सरकार में मजदूर अधिकारों पर बढ़ते हमले व लॉक डाउन के बहाने एक बाद एक राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों को निरस्त किए जाने के खिलाफ शुक्रवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व सेवा संघों के देशव्यापी आह्वान पर भाकपा-माले व ऐक्टू से सम्बद्ध करीब आधा दर्जन मजदूर संगठनों से जुड़े हजारों गरीबों-मजदूरों ने भागलपुर जिले के शहर सहित नाथनगर, सबौर, जगदीशपुर, शाहकुण्ड, बिहपुर, खरीक, नवगछिया, गोराडीह, कहलगांव आदि प्रखंडों में अलग - अलग स्थानों पर फिजिकल डिस्टेंस के साथ प्रतिवाद किया। पोस्टर-प्लेकार्ड के जरिए प्रतिवाद करते हुए मजदूरों ने सरकार विरोधी नारे लगाए व अपनी मांगों के समर्थन में आवाज बुलन्द कर गरीब-मजदूर विरोधी मोदी सरकार पर हल्ला बोला। प्रतिवाद प्रदर्शनों का नेतृत्व व संचालन भाकपा-माले के राज्य कमिटी सदस्य व एआईसीडब्ल्यूएफ के राष्ट्रीय महासचिव एस. के. शर्मा, ऐक्टू राज्य सह जिला सचिव एम. मुक्त, बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन के अमर कुमार, चंचल पंडित, गणेश पासवान, मो. सुदीन, असंगठित कामगार महासंघ के विष्णु कुमार मंडल, अमित गुप्ता, घरेलू महिला कामगार यूनियन के बुधनी देवी, पूनम देवी, चंदा देवी, सुषमा देवी, नीतू देव रिक्शा-ठेला चालक संघ दीपक कुमार, सुमन सौरभ, प्रमोद ठाकुर, विजय रजक, स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के मनोज सहाय और अरुणाभ शेखर ने संयुक्त रूप से किया। स्थानीय सुरखीकल स्थित यूनियन कार्यालय में प्रतिवाद को संबोधित करते हुए कामरेड एस. के. शर्मा ने कहा कि श्रम कानूनों पर हमला किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जाएगा। बिना किसी बदलाव सभी श्रम कानूनों को सभी राज्यों में सख्ती से लागू करने का प्रधानमंत्री आदेश दे अन्यथा मजदूर आर-पार की लड़ाई के लिए विवश होगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र - राज्य सरकारों पर होगी। उपश्रमायुक्त/श्रम अधीक्षक, भागलपुर को प्रधानमंत्री के नाम संयुक्त ज्ञापन सौंपते हुए ऐक्टू की ओर से एम. मुक्त ने कहा कि मजदूर संगठन इस पर आपत्ति नहीं कर रहा कि केंद्र सरकार ने 'नयी संसद परियोजना' 'एनपीआर प्रक्रिया' आदि पर बजटीय व्यय को निरस्त नहीं किया। किन्तु प्रवासी मजदूरों को उनके गांव में वापस लाने के ख़र्च पर बहस हो रही है जबकि यह प्राथमिकता होनी चाहिए और सरकार की बाध्यकारी जिम्मेदारी भी। लॉक डाउन के बहाने मजदूरों - कर्मचारियों के खिलाफ लिए गए तमाम निर्णयों-आदेशों को केंद्र - राज्य की सरकारें वापस ले और तत्काल सभी मजदूरों को बिना किसी शर्त के राशन सहायता व एककम से कम 3 महीने यानी अप्रैल, मई व जून के लिए 10 -10 हजार रुपए नकद हस्तांतरण की गारण्टी करे।


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Editor - Bijay shankar

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