ग्राम समाचार, मिहिजाम:
दूसरों के प्रति नि:स्वार्थ सेवा का भाव रखना ही जीवन में कामयाबी का मूलमंत्र है। नि:स्वार्थ भाव से की गई सेवा से किसी का भी हृदय परिवर्तन किया जा सकता है। हमें अपने आचरण में सदैव सेवा का भाव निहित रखना चाहिए, जिससे अन्य लोग भी प्रेरित होते हुए कामयाबी के मार्ग पर अग्रसर हो सकें। सेवारत व्यक्ति सर्वप्रथम अपने, फिर अपने सहकर्मियों व अपने सेवायोजक के प्रति ईमानदार हो। इन स्तरों पर सेवा भाव में आई कमी मनुष्य को धीरे-धीरे पतन की ओर ले जाती है। सेवा भाव ही मनुष्य की पहचान बनाती है और उसकी मेहनत चमकाती है। सेवाभाव हमारे लिए आत्मसंतोष का वाहक ही नहीं बनता बल्कि संपर्क में आने वाले लोगों के बीच भी अच्छाई के संदेश को स्वत: उजागर करते हुए समाज को नई दिशा व दशा देने का काम करता है। जैसे गुलाब को उपदेश देने की जरूरत नहीं होती, वह तो केवल अपनी खुशबू बिखेरता है। उसकी खुशबू ही उसका संदेश है। ठीक इसी तरह खूबसूरत लोग हमेशा दयावान नहीं होते, लेकिन दयावान लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं, यह सर्वविदित है। सामाजिक, आर्थिक सभी रूपों में सेवा भाव की अपनी अलग-अलग महत्ता है। बिना सेवा भाव के किसी भी पुनीत कार्य को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सकता। सेवा भाव के जरिए समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से समाप्त करने के साथ ही आम लोगों को भी उनके सामाजिक दायित्वों के प्रति जागरूक किया जा सकता है। असल में सेवा भाव आपसी सद्भाव का वाहक बनता है। जब हम एक-दूसरे के प्रति सेवा भाव रखते हैं तब आपसी द्वेष की भावना स्वत: समाप्त हो जाती है और हम सभी मिलकर कामयाबी के पथ पर अग्रसर होते हैं। सेवा से बड़ा कोई परोपकार इस विश्व में नहीं है, जिसे मानव सहजता से अपने जीवन में अंगीकार कर सकता है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हमारे अंतिम सेवा काल तक सेवा ही एक मात्र ऐसा आभूषण है, जो हमारे जीवन को सार्थक सिद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। बिना सेवा भाव विकसित किए मनुष्य जीवन को सफल नहीं बनाया जा सकता। हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें व दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें। इन्ही सभी बातों को चरितार्थ करता एक व्यक्तिव कैलाश पंडित ने अपने वक्तव्य में ढेरों बातें की जिसका कुछ सार बयां करते हुए उन्होंने बताया की मैं पेशे से एक टेम्पो चालक हूँ साथ ही हमारे परिवार में भी सभी माध्यम वर्ग के व्यवसाई हैं जिसमे पिता मिट्टी के कारोबार में लिप्त हैं वहीं भाई वाहन चालक में अपना जीवन व्यतीत कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। आजसू पार्टी का पूर्व नगर अध्यक्ष रह चुका हूँ। वहीं कांनगोई छठ सेवा समिति का अध्यक्ष के अलावे प्रजापति समाज का झारखंड प्रदेश संगठन सचिव से मनोनीत भी हूँ। उन्होंने बताया वार्ड 19 में जब पार्षदों का चुनाव हुआ था तो उस वक़्त बहुत कम वोट से मैं पिछे रह गया। पर इस वार्ड के नागरिकों के साथ ही समाज के अन्य ज़रूरतमंद लोगों का दर्द व उत्थान मेरी पहली प्राथमिकता बनती है। जिसके कारण कोरोना के प्रकोप से हुए देशव्यापी लॉक डाउन में श्रमिक वर्ग, असहाय, गरीब, रोजगार से ओझल हुए मजदूर इत्यादि लोगों का जीना व अपने तथा अपने परिवार का भरण पोषण करना दुश्वार हो गया है। इन्ही सभी प्रमुख बिंदुओं को केंद्रित कर सैंकड़ों राह चलते पश्चिम बंगाल से अपने गंतव्य की ओर जाते मजदूरों व ज़रूरतमंदों को भोजन कराया गया साथ ही वैसे लोग जिनका सड़कों पर चलते चलते पाँव में छाले पड़ गए उन्हें उनके गंतव्य तक पहुचाने के लिए वाहन की भी व्यवस्था की गई साथ साथ उन्हें बिस्कुट, ब्रेड, केला, केक, पानी देकर विदा किया गया। साथ ही मिहिजाम के गरीब असहाय, ज़रूरत मंदों व भाड़ा में रह रहे लोगों के लिए भी राहत खाद्य सामग्री के रूप में लगभग 15 कुंटल चावल, आलू, दाल, चुरा, गुड़, मुढ़ी इत्यादि का भी व्यवस्था किया गया ताकि वैसे ज़रूरत मंदों को इस संकट की घड़ी में कुछ राहत पहुँचाई जा सके। सभी ज़रूरत मंद लोगों की सहायता के क्रम के दौरान समाज सेवी बंसीधर पांडे व कुछ अज़ीज़ मित्रों ने भरपूर सहयोग किया जिसका कर्ज़ चुकाना सम्भव नहीं। आने वाले दिनों में भी इस तरह का सेवाभाव जारी रहेगा।
रोहित शर्मा, ब्यूरो, जामताड़ा
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