ग्राम समाचार, भागलपुर। भागवत मतलब भगवान व भक्तों की कथा होती है। यह कथा अति पावन पुनीत कथा है, जो इस कलयुग में लोगों को सत्कर्म से जोड़ने का कार्य करती है। जिसे हम सभी लोग भागवत कथा कहते हैं। उक्त बातें उत्कर्ष फाउंडेशन स्कूल जिछो में चल रहे सप्त दिवसीय भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के दूसरे दिन नलखेड़ा मध्य प्रदेश से आयी संत सुश्री वर्षा नागर ने कहीं। उन्होंने कहा कि प्रभु से अन्तर्भाव से जुड़े वही हमें मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करेंगे उन्होंने तन मन और वाह्य वातावरण की स्वच्छता का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री जी देश भर में स्वच्छता अभियान चला रहे हैं जो कि विश्व पटल पर दिख रहा है, वह होना भी चाहिए लेकिन अंदर की स्वच्छता भगवान के स्मरण करने से ही होगा। उसके लिए भगवत नाम और स्मरण अनिवार्य है।
वहीं उन्होंने परीक्षित, प्रह्लाद व बालक ध्रुव के बारे में प्रवचन करते हुए लोगों को मंच की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कौरव, पांडव प्रसंग के चर्चा के दौरान कहा कि भगवान किस तरह से अपने आप को पहले छोटा करके और फिर पांडव के पक्ष में पंचायती करने पहुंचे और इस दौरान दुर्योधन ने उस सभा में किस प्रकार से भगवान श्री कृष्ण का बेज्जती की और अपने सैनिकों से उन्हें बंदी बना देने की बात कही डाली। साजिस पर भगवान मुस्कुराए और जब उनके सैनिक बंदी बनाने चले तो भगवान ने अपना रौद्र रूप दिखा कर लोगों को समझा दिया। इसलिए इस कलयुग में एकमात्र सहारा प्रभु का स्मरण ही है। वो दिखते नहीं लेकिन मौजूद हर समय हर जगह रहते हैं। आज के कथा के दौरान मुख्य रूप से दीपक सिंह, पूर्व जिप अध्यक्ष बिनीता सिंह, पंकज सिन्हा, शांभवी सिन्हा, राजीव मिश्रा, उमाशंकर, हर्ष प्रीत, सुमन, सिद्धार्थ आदि उपस्थित थे। वहीं अपने संबोधन के दौरान दीपक सिंह ने कहा कि सौभाग्यशाली होते हैं वो लोग जिन्हें भागवत कथा श्रवण करने का अवसर प्राप्त होता है। भगवान श्री कृष्ण का जीवन परिचय का कुछ हिस्सा भी यदि लोगों के जीवन में समझ में आ जाए तो उनका जीवन धन्य हो जाएगा।
इस दौरान कलाकारों में "तुम्हारी याद आती है बताओ क्या करें मोहन....जैसे एक से बढ़कर एक भजन प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तत्पश्चात भगवान की पावन आरती कर आज कथा को विश्राम दिया गया। उक्त आशय की जानकारी रोशन सिंह ने दी।
वहीं उन्होंने परीक्षित, प्रह्लाद व बालक ध्रुव के बारे में प्रवचन करते हुए लोगों को मंच की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कौरव, पांडव प्रसंग के चर्चा के दौरान कहा कि भगवान किस तरह से अपने आप को पहले छोटा करके और फिर पांडव के पक्ष में पंचायती करने पहुंचे और इस दौरान दुर्योधन ने उस सभा में किस प्रकार से भगवान श्री कृष्ण का बेज्जती की और अपने सैनिकों से उन्हें बंदी बना देने की बात कही डाली। साजिस पर भगवान मुस्कुराए और जब उनके सैनिक बंदी बनाने चले तो भगवान ने अपना रौद्र रूप दिखा कर लोगों को समझा दिया। इसलिए इस कलयुग में एकमात्र सहारा प्रभु का स्मरण ही है। वो दिखते नहीं लेकिन मौजूद हर समय हर जगह रहते हैं। आज के कथा के दौरान मुख्य रूप से दीपक सिंह, पूर्व जिप अध्यक्ष बिनीता सिंह, पंकज सिन्हा, शांभवी सिन्हा, राजीव मिश्रा, उमाशंकर, हर्ष प्रीत, सुमन, सिद्धार्थ आदि उपस्थित थे। वहीं अपने संबोधन के दौरान दीपक सिंह ने कहा कि सौभाग्यशाली होते हैं वो लोग जिन्हें भागवत कथा श्रवण करने का अवसर प्राप्त होता है। भगवान श्री कृष्ण का जीवन परिचय का कुछ हिस्सा भी यदि लोगों के जीवन में समझ में आ जाए तो उनका जीवन धन्य हो जाएगा।
इस दौरान कलाकारों में "तुम्हारी याद आती है बताओ क्या करें मोहन....जैसे एक से बढ़कर एक भजन प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तत्पश्चात भगवान की पावन आरती कर आज कथा को विश्राम दिया गया। उक्त आशय की जानकारी रोशन सिंह ने दी।
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