ग्राम समाचार, बौंसी, बांका। बौसी प्रखंड के अंतर्गत मधुसूदन मंदिर के सामने निकेश्वर नाथ महादेव मंदिर अवस्थित है। जिस मंदिर की हालत काफी जर्जर है। इसकी देखरेख के अभाव के कारण मंदिर प्रांगण में सूअर एवं कुत्तों का अड्डा रहता है।
यह मंदिर बड़ा ही शक्तिशाली है। यहां की मान्यता है कि, बगल में ठाकुर पोखर है। जिसमें बुजुर्गों का कहना है कि, नः संतान महिलाएं ठाकुर पोखर में सुबह सुबह स्नान कर भींगे कपड़े के साथ जाकर भगवान को नहला कर, जल चढ़ाने से उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। मालूम हो कि 1860 ई० में यह ठाकुर पोखर का निर्माण हुआ था। इसमें पूरे प्रखंड की मूर्तियां विसर्जित होती है। इसलिए इसका नाम ठाकुर पोखर रखा गया।
इस वजह से यह ठाकुर पोखर के नाम से प्रचलित है। कई बार पूर्व में कई मंत्री, एमएलए, एमपी आए एवं कई प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी आए और अपने अपने वादे कर के चले गए। लेकिन किसी ने भी ना ही इस मंदिर की ओर और ना ही ठाकुर पोखर पर ध्यान दिया। विदित हो कि पूर्व सांसद जयप्रकाश नारायण यादव ने भी घोषणा किया था, कि इस मंदिर का चारदीवारी बनाकर एवं ठाकुर पोखर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। इसके अलावा भी जब पूर्व मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री रामनारायण मंडल ने भी इस तालाब के जीर्णोद्धार का वादा किया था। परंतु वह भी खोखला साबित हुआ।
जबकि इस ठाकुर पोखर में मंदार महोत्सव में आने वाले श्रद्धालु एवं सैलानी बौसी मेला में इस पोखर में भी स्नान किया करते थे। मेले के स्थानीय ग्रामीणों के अलावा मेले में आने वाले दुकानदार एवं खेल तमाशे वाले भी इसी पोखर में स्नान किया करते थे। लेकिन इस पोखर को नजरअंदाज करते हुए। पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी अमर मिश्रा ने अपने शक्ति का दुरुपयोग कर स्थानीय संवेदक के साथ मिलकर इस पोखर में पूरे पंडा टोला ग्राम का नाला का निर्माण कर इस पोखर में जोड़ दिया गया। जिससे की पूरे बस्ती का मल मूत्र वाला पानी इसी ठाकुर पोखर में आकर गिरता है। जो यह नियमानुसार गलत है। जिससे यहां के स्थानीय ग्रामीण एवं पंडा समाज के लोग नाराज हैं। वहीं स्थानीय पंडित विकास चंद्र झा का कहना है कि, मंदिर के देखरेख के लिए कोई आगे नहीं आता है। सब खुद से ही खर्च करना पड़ता है। पूरे मंदिर परिसर में नाली को भी बहाया जाता है। जिसमें मंदिर की पवित्रता एवं वातावरण दूषित होती है। वहीं दूसरी ओर मधुसूदन मंदिर भगवान के शयन कक्ष के पीछे कूड़े का अंबार लगा हुआ है। जिसे देखने वाला कोई नहीं है। यहां तक कि मंदिर के नाले की साफ-सफाई भी ठीक से नहीं हो पाती है। स्थानीय पंडित लोगों का कहना है कि, ₹300 महीना मंदिर खर्च एवं भोग के लिए दिया जाता है। जिससे आर्थिक समस्या हो रही है। प्रशासन एवं स्थानीय समाजसेवी और राजनेता को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
कुमार चंदन, ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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