ग्राम समाचार, ब्यूरो रिपोर्ट गोड्डा। बिजली विभाग की उदासीनता का खामियाजा ग्रामीण उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। सरकार जहां एक ओर हर घर बिजली और निर्बाध आपूर्ति के दावे कर रही है, वहीं जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल रही है। बोआरीजोर प्रखंड के मेघी पंचायत अंतर्गत छोटा दोरमा गांव में बिजली आपूर्ति लंबे समय से बाधित है। मजबूरी में ग्रामीणों ने घर-घर चंदा कर करीब 35 हजार रुपये जुटाए और अपने ही पैसों से बिजली के सामान खरीदकर मरम्मत करवा रहे है।
आदिवासी ग्रामीणों का कहना है कि यदि वे चंदा कर बिजली ठीक नहीं कराते, तो अंधेरे में रहने की नौबत आ जाती। समय पर बिजली बिल चुकाने के बावजूद खराबी दूर कराने के लिए उपभोक्ताओं से ही अवैध रूप से पैसे वसूलने जैसा हाल बना दिया गया है। आरोप है कि बिजली कर्मियों की लापरवाही के कारण समस्या को आला अधिकारियों तक पहुंचाने के बजाय, बिजली कर्मी ही चंदा कर सामान खरीदने की सलाह देते हैं और वह सामान भी उन्हीं के माध्यम से खरीदा जाता है, जैसे खंभे में लगने वाला वेंटिलेटर, एलटी तार आदि।
छोटा दोरमा के ग्राम प्रधान राजेंद्र मरांडी सहित ग्रामीणों ने बताया कि बोआरीजोर क्षेत्र के बिजली फीडर से जुड़े कर्मी राजू को बार-बार अवगत कराया गया कि गांव में तार खराब है और लंबे समय से बिजली बाधित है। लेकिन जानकारी के अभाव में ग्रामीणों को बलि का बकरा बनाते हुए उनसे ही पैसा जुटवाकर मरम्मत करवाई जा रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि वे नियमित रूप से बिजली बिल देते हैं, फिर भी खराबी की स्थिति में विभागीय स्तर पर समय पर सुधार नहीं होता। बेहद कठिन हालात में घर-घर से 500 रुपये चंदा कर 35 हजार रुपये जमा करना गरीब ग्रामीणों के लिए भारी बोझ है। इससे उपभोक्ताओं में ठगे जाने की भावना गहराई है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि वे इस मामले में लिखित शिकायत देकर आला अधिकारियों को अवगत कराएंगे।
इधर, महागामा अनुमंडल क्षेत्र के बिजली विभाग के एसडीओ कंचन टुडू से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस तरह की समस्या को लेकर अब तक कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। शिकायत मिलने पर विभाग की ओर से आवश्यक करवाई हेतु सहयोग किया जाएगा।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या बिजली विभाग उपभोक्ताओं को सुचारू सुविधा उपलब्ध करा पाएगा, या ग्रामीणों को यूं ही चंदा कर बिजली ठीक करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।



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