रेवाड़ी- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के राष्ट्रीय मध्यस्थता अभियान का न्याय आपके द्वारा अभियान स्वागत करता है। मुख्य न्यायाधीश को प्रेषित पत्र में अभियान के संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश चौहान ने 1986 से पंजाब हरियाणा के बीच चल रहे राजीव लोंगवाल समझौते विवाद को इस मध्यस्थता अभियान की सूची में वरीयता से शामिल करने का पुरजोर आग्रह किया है। राजनीतिक अहम और प्रतिष्ठा का झूठा आवरण लपेटकर पिछले 39 वर्ष से दोनों राज्यों की सरकारें इसका व्यवहारिक समाधान लागू करने से कतरा रही हैं। परिणाम स्वरुप दोनों राज्य न तो अपनी अलग राजधानी बना पाए हैं न ही अपना अलग उच्च न्यायालय। नतीजा आम नागरिक को भुगतना पड़ रहा है। कृषि, पीने का पानी, क्षेत्रीय विकास और प्रशासनिक खींचतान के अलावा सस्ता, सुलभ व त्वरित न्याय पाने के लिए भी आम आदमी को भारी कीमत व बेवजह की परेशानी उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
दोनों राज्यों की सरकारों, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और चंडीगढ़ के प्रशासक तीनों को मध्यस्थता की टेबल पर बैठा कर एसवाईएल नहर ,चंडीगढ़, हिंदी भाषाई क्षेत्रों का हस्तांतरण, अलग राजधानी और उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण मामलों का समाधान करवाया जाए। उच्च न्यायालय में विचाराधीन केसों के अंबार का तुरंत निपटारा करने के लिए पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 के प्रावधान अनुसार चंडीगढ़ से पंजाब व हरियाणा के दूरस्थ क्षेत्रों के लिए एक-एक खंडपीठ स्थापना का मार्ग भी प्रशस्त किया जाए। न्याय आपके द्वार अभियान इस मध्यस्थता के लिए जमीनी आवश्यकता जुटाने में अपना सहयोग देने की पेशकश करता है। दक्षिणी पश्चिमी हरियाणा के दर्जन भर जिलों के वकील साथियों के प्रतिनिधि मंडल को मुलाकात का समय देने का पत्र में आग्रह किया है।

0 comments:
एक टिप्पणी भेजें