नई दिल्ली: फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल की कट्टरपंथी महिला डॉ. शाहीन शाहिद पिछले दो साल से विस्फोटक इकट्ठे कर रही थी। सूत्रों के मुताबिक उसने पूछताछ में कबूल किया है कि वह साथी आतंकी डॉक्टरों के साथ मिलकर पूरे देश में आतंकी हमले करने की योजना पर काम कर रही थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक पूछताछ में शाहीन ने बताया है कि मॉड्यूल में शामिल डॉ. अल अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में काम के बाद मिलते थे। जब भी उसकी मुलाकात डॉ. उमर से होती, वह जोश के साथ कहता था कि पूरे देश में कई आतंकी हमले करने हैं। वह, मुजम्मिल और अदील के साथ मिलकर दो साल से अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटक इकट्ठा कर रही थी। ये सब आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद (JeM) के इशारों पर किया जा रहा था।
कार विस्फोट का मुख्य सरगना उमर
जांच से जुड़े सूत्रों के मुताबिक डॉ. उमर उन नबी फरीदाबाद मॉड्यूल का सबसे कट्टरपंथी सदस्य है। लाल किले के पास कार विस्फोट का मुख्य सरगना यही है। बता दें कि फरीदाबाद मॉड्यूल के डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई, डॉ. अदील मजीद राथर और डॉ. शाहीन शाहिद को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुजम्मिल, अदील और शाहीन को पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर गिरफ्तार किया था।
डॉ. उमर हो गया था अंडरग्राउंड
फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने वाला डॉ. उमर भागने में कामयाब रहा था। माना जा रहा है कि वह अंडरग्राउंड हो गया था। बाद में वह फिदायीन के रूप में फिर से सामने आया। अब तक की जांच में सामने आया है कि i20 कार के जरिए अमोनियम नाइट्रेट और डेटोनेटर जैसी चीजें लेकर उमर ने ही लाल किले के पास ब्लास्ट किया था।
डॉक्टरों के जैश मॉड्यूल का पर्दाफाश
जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तार डॉक्टरों से पूछताछ जैश के एक व्यापक नेटवर्क की ओर इशारा करती है। शाहीन ने खुलासा किया कि उसका भाई, परवेज सईद भी कट्टरपंथी था और मुजम्मिल और अदील के चैट ग्रुप का हिस्सा था। जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक टीम परवेज को भी हिरासत में ले चुकी है, लेकिन उससे कोई खास बरामदगी नहीं हो सकी। एक अधिकारी ने बताया कि हो सकता है कि गिरफ्तारी की आशंका में उसने विस्फोटकों को फेंक दिया हो। गुरुग्राम स्थित एक अमोनियम नाइट्रेट आपूर्तिकर्ता की भी पहचान हो चुकी है, जल्द ही उसकी भी गिरफ्तारी हो सकती है।
मौलवियों का नेटवर्क भी था एक्टिव
फरीदाबाद और दिल्ली विस्फोटों में छापेमारी ने धर्म प्रचार में शामिल मौलवियों के एक नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसमें शोपियां का एक मौलवी, इरफान अहमद वागे भी शामिल है, जो पाकिस्तान स्थित जैश के हैंडलर उमर बिन खत्ताब उर्फ हरजुल्ला के सीधे संपर्क में था। मेवात का एक अन्य मौलवी, हाफिज मोहम्मद इश्तियाक, आतंकवादियों को रसद मुहैया करा रहा था। ये मौलवी जैश-ए-मोहम्मद की ओर से पूरे भारत में आतंकी हमले करने के लिए डॉक्टरों जैसे उच्च योग्यता प्राप्त पेशेवरों को कट्टरपंथी बनाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे थे।
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