हम बात कर रहे हैं 20 अक्टूबर 1962 की जब चीन ने भारत की दोस्ती को धता बताते हुए अचानक हमला कर दिया था । हिंदी चीनी भाई-भाई के नारे को एक झटके में तोड़ दिया। पूरे एक महीने तक चले इस युद्ध में 18 नवंबर 1962 को रेजांगला पोस्ट पर मेजर शैतान सिंह भाटी परमवीर चक्र की कमान में 13 कुमाऊं अहीर बटालियन की चार्ली कंपनी के 124 रणबाँकुरों ने चीन की एक पूरी ब्रिगेड को नाकों चने चबवाते हुए 1300 से भी अधिक चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया और सैकड़ो चीनी सैनिकों को घायल किया । आखिरी गोली आखिरी जवान की इस अद्वितीय लड़ाई में हमारे 110 रणबांकुरों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। जिनमें अधिकतर अहीरवाल की माटी के लाल थे। चीन को दो दिन तक अपने सैनिकों की लाशों को इकट्ठा करने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने की कार्यवाही ने झकझोर कर रख दिया। तीसरे दिन 21 नवंबर को सहमें हुए चीन ने एक तरफा शीश फायर की घोषणा कर दी थी। आज भी चीन की सेना में रेजांगला की मार का खौफ कायम है । कवि प्रदीप का लिखा और स्वर कोकिला लता मंगेशवर का गाया ' अ मेरे वतन के लोगों, जरा याद करो कुर्बानी ' . ..... सदाबहार गीत इसी लड़ाई को समर्पित है।
रेजांगला शौर्य समिति के महासचिव नरेश चौहान राष्ट्रपूत ने बताया कि संयोग से 63 साल बाद इस बार 20 अक्टूबर को दिवाली का पर्व आ रहा है। समिति रेवाड़ी के सिविलियन अहीर धाम रेजांगला युद्ध स्मारक पर 20 अक्टूबर को सांय 5 बजे अपने मुख्य संरक्षक कर्नल रणबीर सिंह यादव और अध्यक्ष राव संजय सिंह की अगुवाई में रेजांगला के अमर शहीदों के पराक्रम को नमन कर संगीतमय दीपोत्सव पर्व मनाएगी ।

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