ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- संत कवि गोस्वामी तुलसी दास के पद्य और प्रेमचंद के गद्य विश्व धरोहर हैं। जहां अपनी रचना रामचरित मानस से तुलसी सनातन धर्मावलंबियों के हृदय में संत रूप में स्थापित हुए वहीं प्रेमचंद साहित्य में हिन्दुस्तान की आत्मा बसती है। उक्त आशय की बातें अनुमंडल पदाधिकारी बैद्यनाथ उरांव ने गुरुवार शाम स्थानीय विद्यापति भवन में आयोजित गोस्वामी तुलसी दास एवं कथा सम्राट प्रेमचंद जयंती समारोह के दौरान बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कहा।
बतौर विशिष्ट अतिथि अपने संबोधन में जिला खेल एवं कला - संस्कृति पदाधिकारी डॉ. प्राण महतो ने कहा कि तुलसीकृत रामायण एक जीवन दर्शन है जो हमें श्रेष्ठ जीवन जीना सिखाती है जबकि प्रेमचंद के साहित्य एक आईना है जिसमे देश के ग्रामीण परिवेश की संपूर्ण झलक है। जोहार कलमकार मंच झारखंड की गोड्डा जिला शाखा द्वारा आयोजित समारोह की अध्यक्षता मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष सह गोड्डा जिलाध्यक्ष सुरजीत झा ने तथा संचालन जिला उपाध्यक्ष डॉ. ब्रह्मदेव कुमार ने किया।
तीन चरणों में आयोजित के कार्यक्रम के प्रथम सत्र एवं द्वितीय सत्र में जहां अतिथि द्वय के अलावा वरीय अधिवक्ता दीना नाथ झा, विद्यापति सांस्कृतिक परिषद सचिव डॉ. बंशीधर मिश्रा, साहित्यकार परीक्षित मंडल प्रेमी, शिव कुमार भगत, नीरभ किशोर, प्रवीण तिवारी, सर्वजीत झा "अंतेवासी", सुरजीत झा, मुकेश कुमार, ओम प्रकाश मंडल एवं त्रिमाला कुमारी ने विषयक व्याखान के तहत विभूति द्वय के महान व्यक्तित्व एवं अजर - अमर कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें अपनी शब्द - श्रद्धांजलि दी वहीं तीसरे चरण में आयोजित कवि सम्मेलन में डॉ. स्मिता शिप्रा, प्रकाश यादव, अधिवक्ता अनंत नारायण दुबे, ओम प्रकाश मंडल, सुरजीत झा, शंकर ठाकुर "चंद्रबिंदु", विपुल दुबे, सोनू कुमार झा, त्रिमाला कुमारी, विनिता प्रियदर्शिनी, ऋतंभरा कुमारी "मीठी", चेतन राज, उमेश साह एवं आदित्य राज मेहरा ने विभूति द्वय पर लिखी कविता का पाठ कर उन्हे अपनी काव्यांजलि दी। सभी बीस प्रतिभागियों को मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विद्यापति सांस्कृतिक परिषद के हरिशंकर मिश्र, सुनील कुमार झा, निश्छल कुमार, दिलीप कुमार झा एवं प्रभु झा सहित आशुतोष झा, अमित सिंह "अप्पू" एवं नीतीश आनंद उपस्थित थे।



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