ग्राम समाचार,दुमका। दुमका के अधिवक्ता सामुएल सोरेन ने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है कि जेलों में बंद गरीब, असहाय और विचाराधीन आदिवासी कैदियों को न्याय और रिहाई दिलाई जाए। वे न केवल इन कैदियों की जमानत सुनिश्चित करने में जुटे हैं, बल्कि उनके मामलों का त्वरित निष्पादन भी कराते हैं।
पिछले 17 वर्षों से दुमका कोर्ट में सेवा दे रहे सामुएल सोरेन, जिला विधिक सेवा प्राधिकारण के मध्यस्था केंद्र में मध्यस्थ के रूप में भी सक्रिय हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और भारत सरकार के विधि मंत्रालय द्वारा प्रायोजित एक वर्षीय फेलोशिप सफलतापूर्वक पूरी की है।
सामाजिक सरोकार से जुड़े हुए, वे ऑल इंडिया संथाल वेलफेयर एंड कल्चर सोसायटी के दुमका जिला अध्यक्ष हैं और पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के जिला सदस्य भी हैं। इसके अलावा वे कई गैर-सरकारी संस्थाओं को कानूनी सेवा और सहयोग प्रदान करते हैं।
लेखन के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। उन्होंने संथाल परगना काश्तकारी (पूरक प्रावधान) अधिनियम 1949 का हिंदी संस्करण, हमारे गांव में हमारा राज तथा संथाल विद्रोह (हूल) 1855–1857 जैसी पुस्तकों का प्रकाशन कराया है। सामुएल सोरेन का जीवन, संघर्षशील समुदायों के लिए न्याय और सम्मान की लड़ाई का प्रेरक उदाहरण है।

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