हृदय रोग के बाद कैंसर दुनिया भर में सबसे आम नॉन कम्युनिकेबल बीमारी बन चुका है। इसका प्रसार न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में लगातार बढ़ रहा है। ग्लोबोकैन 2022 के आंकड़ों के अनुसार पुरुषों में फेफड़े, कोलोरेक्टल, सिर-गले और प्रोस्टेट कैंसर सबसे आम हैं, जबकि महिलाओं में स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े और सर्वाइकल कैंसर अधिक पाए जाते हैं। इन कैंसर के प्रमुख कारण जीवनशैली से जुड़े हैं—जैसे धूम्रपान, शराब और तंबाकू का सेवन, असंतुलित खानपान जिसमें संतृप्त वसा अधिक और आहार फाइबर कम हो, तथा लंबे समय तक बैठे रहने की आदत। मोटापा भी कई तरह के कैंसर का एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है। हाल के वर्षों में साबुत अनाज की तुलना में प्रोसेस्ड फूड का सेवन तेजी से बढ़ा है, जिससे मेटाबॉलिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है और मोटापा, मधुमेह, क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ व कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
*मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अदिति अग्रवाल ने बताया कि* “आहार से जुड़े अन्य पहलुओं में बीज तेलों का अत्यधिक उपयोग, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का असंतुलन, और शरीर में लंबे समय तक बनी रहने वाली सूजन (क्रॉनिक इंफ्लेमेशन) शामिल हैं। पानी और औषधियों में मौजूद भारी धातुएं शरीर की प्राकृतिक डिटॉक्स प्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे लंबे समय में कैंसरकारी तत्वों को बाहर निकालने की क्षमता घट सकती है। प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग से वातावरण, पानी और भोजन में माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी भी बढ़ी है, जो हार्मोनल बदलाव पैदा कर स्तन और प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है। लगातार मानसिक तनाव भी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है, जिससे शरीर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं या कैंसरकारी उत्तेजकों को खत्म करने में कम सक्षम हो जाता है। हालांकि, इस पर मानव-आधारित प्रत्यक्ष अध्ययन अभी सीमित हैं।“
डॉ. अदिति अग्रवाल ने बताया कि “रेडिएशन के संदर्भ में, आयनाइज़िंग रेडिएशन से कैंसर होने के प्रमाण हैं, लेकिन नॉन आयनाइज़िंग रेडिएशन (जैसे मोबाइल फोन, टेलीफोन नेटवर्क के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड) से कैंसर होने के स्पष्ट प्रमाण अब तक नहीं मिले हैं। रात में आर्टिफिशल लाइट का अत्यधिक उपयोग शरीर की प्राकृतिक जैविक घड़ी (सर्कैडियन रिद्म) को बिगाड़ सकता है, जिससे मेलाटोनिन स्तर घटते हैं और नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है, हालांकि कैंसर से इसका सीधा संबंध साबित नहीं हुआ है। “कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी मुख्यतः जीवनशैली में आए बदलावों के कारण हो रही है, जो कोशिकीय स्तर पर हार्मोनल असंतुलन, मेटाबॉलिक रोग और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं, साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देते हैं। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, नशे से दूरी, प्रोसेस्ड फूड और प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करना तथा पर्याप्त नींद लेना—ये सभी न केवल कैंसर, बल्कि कई अन्य बीमारियों की रोकथाम में सहायक हो सकते हैं।

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