Saraiyahat News: सरैयाहाट: मिट्टी, जल और बीज की स्वतंत्रता ही भविष्य की कुंजी - डॉ. दुबे


सरैयाहाट, देवघर:
सरैयाहाट में बीते दिनों मिट्टी पूजन समारोह एवं प्राकृतिक खेती के उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर 'मिट्टी, जल की रक्षा और बीज की स्वतंत्रता भविष्य की कुंजी' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे कृषि वैज्ञानिक डॉ. श्रीधर दुबे ने महत्वपूर्ण उद्बोधन दिया। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि स्वस्थ मिट्टी, शुद्ध जल और स्थानीय बीजों का संरक्षण ही हमारे भविष्य की समृद्धि का आधार है।

कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर वक्ता के रूप में डॉ. श्रीधर दुबे, प्रमुख मोहन कुमार सिंह, कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजय प्रियदर्शी एवं योगराज झा उपस्थित थे।

डॉ. दुबे ने अपने संबोधन में मिट्टी के घटते पोषण मूल्य पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज की रासायनिक खेती ने हमारी मिट्टी को बंजर बना दिया है, जिससे न केवल मिट्टी की उर्वरता कम हुई है, बल्कि उसमें मौजूद सूक्ष्मजीव भी नष्ट हो गए हैं। इसका सीधा असर हमारे भोजन की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। उन्होंने प्राकृतिक खेती के महत्व पर बल देते हुए कहा कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की संरचना और उसमें मौजूद सूक्ष्मजीवों को भारी नुकसान हो रहा है, जो दीर्घकाल में कृषि उत्पादकता के लिए हानिकारक है।

डॉ. दुबे ने किसानों को सलाह दी कि वे रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक और जैविक खेती को अपनाएं। उन्होंने कहा कि प्रकृति में सब कुछ मौजूद है और हमें प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करना सीखना होगा। उन्होंने बीज की स्वतंत्रता पर भी जोर दिया, यानी किसानों को कंपनियों के बजाय अपने पारंपरिक बीजों का उपयोग करना चाहिए, जो स्थानीय जलवायु और मिट्टी के लिए अनुकूल होते हैं। जल संरक्षण के महत्व को समझाते हुए उन्होंने वर्षा जल संचयन और अन्य पारंपरिक जल संरक्षण विधियों को अपनाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर मंच पर मौजूद प्रमुख मोहन कुमार सिंह ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती ही एक मात्र विकल्प है जो किसानों को आत्मनिर्भर बना सकती है। उन्होंने कहा कि हमें अपने पारंपरिक ज्ञान और पद्धतियों को पुनर्जीवित करना होगा। कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजय प्रियदर्शी ने खेती में आने वाली चुनौतियों पर बात की और उनके समाधान के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया। योगराज झा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं और स्वयंसेवकों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। यह कार्यक्रम किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने और उन्हें मिट्टी, जल और बीज के संरक्षण के महत्व को समझाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। इस प्रकार के आयोजन न केवल किसानों को शिक्षित करते हैं, बल्कि उन्हें टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल खेती की ओर अग्रसर करते हैं, जो भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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