ग्राम समाचार बोआरीजोर(गोड्डा)। गोड्डा जिले के ललमटिया कोयला खदान से प्रभावित गांवों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है, लेकिन बोआरीजोर प्रखंड का डकैता गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। ललमटिया सदर बाजार के पिछवाड़े बसा यह डकैता गांव विकास की रोशनी से कोसों दूर है और वर्तमान हालात एक नई पीड़ा की कहानी बयां कर रहे हैं।
डकैता गांव की मुख्य सड़कें अब नाली बन चुकी हैं। घरों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे सड़कों पर बहता है। सड़क किनारे नाली या ड्रेनेज की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण गांव के लोग खुद ही सड़क पर चेक डैम बनाकर उस गंदगी को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इस प्रयास से समस्या सुलझने की बजाय और बढ़ गई है अब सड़कें कीचड़ और बदबू से भर गई हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि लगातार गंदा पानी सड़क पर बहने से कई प्रकार की बीमारियों का खतरा बना रहता है। तीन महीने पहले बनाए गए इस अस्थायी चेक डैम के कारण रास्ता और दुर्गम हो गया है, जिससे गांव में आने-जाने वाले लोग भी परेशानी में पड़ जाते हैं।
ग्रामीणों में नाराजगी, प्रशासन बेपरवाह
गांव के लोगों के बीच इस मुद्दे को लेकर चर्चा तो जरूर होती रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि सामाजिक विवादों की भी नींव रख सकती है।
कोयला खदान क्षेत्र से प्रभावित डकैता जैसे गांवों की यह हालत उस कथित विकास पर सवाल उठाती है, जिसका दावा अक्सर कोयला कंपनियां और प्रशासन करते हैं।
ज़रूरत है त्वरित कार्रवाई की
चाहे वह कोयला परियोजना संचालक हों या जिला प्रशासन, दोनों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे इस तरह की समस्याओं पर त्वरित और ठोस कदम उठाएं। वरना यह समस्याएं सिर्फ पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि सामाजिक तनाव का कारण भी बन सकती हैं।
डकैता गांव की सड़कों पर बहता गंदा पानी, नाली के अभाव में बना कीचड़ और उससे उपजती बदबू और बीमारी की आशंका, ये सभी संकेत हैं कि आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी कुछ गांव आज भी उपेक्षा की काली खदान में दबे हुए हैं। अब वक्त आ गया है कि ऐसे गांवों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाए।
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