परम पूज्या गुरु मां *आर्यिका 105 अर्हन माताजी* ने रेवाड़ी के नसिया जी में प्रणम्य सागर मांगलिक भवन में चल रहे 48 दिवसीय भक्तामर विधान के अंतर्गत 19वें काव्य के बारे में बताया इस काव्य में आo भगवन् मानतुंग स्वामी कह रहे हैं- हे प्रभो ! जिस तरह संसार में धान के पक जाने पर जल से भरे बादलों से कोई लाभ नहीं होता उसी तरह आपके मुखचन्द्र के द्वारा अंधकार के नष्ट हो जाने पर दिन में सूर्य और रात्रि में चंद्रमा से कोई लाभ नहीं । अर्थात् आपका मुखचन्द्र अज्ञान अंधकार को नष्ट करने वाला है और समस्त कालुष्य दोषों को दूर करने वाला है।
आचार्य मानतुंग महाराज भगवान की भक्ति करते हुए कहते हैं, हे भगवान! मैं भी अज्ञान से दूर हो सकूं। यह जो अज्ञान मेरे भीतर बैठा हुआ है वह बार-बार मुझे दुख दिलाता है, क्योंकि दुख और सुख अज्ञान और ज्ञान से होते हैं। जितना- जितना अज्ञान होता है उतना उतना दुख होता है, और जितना -जितना ज्ञान होता है उतना- उतना सुख होता है।
माता जी कहती हैं एक बार आप भगवान पर सब कुछ छोड़ कर तो देखो ,सब अपने आप सही होता चला जाएगा । मात्र अपना विश्वास सुखानंद की तरह दृढ़ बनाए रखने की आवश्यकता है।
हमारे जीवन में किसी भी प्रकार की विपत्ति अथवा संकट आए हमें अपने भगवान और अपने स्तोत्र को नहीं छोड़ना है। हम यदि भगवान का स्मरण करेंगे तो निश्चित ही विपत्तियों से बचेंगे।
19 वें काव्य के माध्यम से हमने देखा यदि हम मानतुंग महाराज की तरह श्रद्धा भक्ति से काव्य पढ़ेंगे तो हमारे संकट अवश्य ही दूर होंगे। आप और हम भक्तामर की माला को अपने कंठ में धारण किए रहे। जीवन में किसी भी क्षण हमारे ऊपर संकट आएगा तो वह अवश्य ही पलायन कर जाएगा।
आज के पुण्यार्जक परिवार:- श्री सुमेर चंद जी जैन श्री परतोष कुमार जी जैन, श्री मामन चंद जी जैन महेंद्र कुमार जैन सर्राफ गुड बाजार, रेवाड़ी सूचना प्रभारी नेहा जैन प्राकृत" ने बताया प्रवचन के पश्चात आज का नियम में "काजू का त्याग" दिलाया। यह विधान "विधानचार्य श्री वरुण भैया" द्वारा कराया जा रहा है, यह 48 दिनों तक इसी तरह पूरी भक्ति के साथ चलेगा। सैकड़ों परिवार प्रभु भक्ति का आनंद ले रहे हैं।
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