Bounsi News: वट सावित्री पूजन को लेकर बाजारों में उमड़ी खरीदारों की भीड़

ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। वट सावित्री व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री व्रत करवा चौथ व्रत के समान ही फल देता है। अमावस्या तिथि को रखे जाने वाले वट सावित्री व्रत का सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व होता है। इस साल मई में पड़ रहे वट सावित्री व्रत पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इन शुभ योग की वजह से वट सावित्री व्रत का महत्व और भी अधिक बढ़ जाएगा। विदित हो कि यह पर्व जेष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। जो 20 मई शुक्रवार को है। मालूम हो कि हिंदू धर्म में महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखती है। हर साल जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को आता है इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती के लिए व्रत रखती है। व्रत के पूर्व यानी गुरुवार को बाज़ार में शहरी सहित गांव कस्बों के लोगों खूब खरीदारी करते दिखे। वहीं सुहागिन महिलाएं बांस से बने पंखे, नारियल, फल, सोलह शिंगार, नये नये कपड़े एवं इस व्रत को करने वाले पूजन सामग्री की खुब खरीददारी करते देखी गई। जहां दिनभर बाजारों में चहल कदमी बनी रही। मान्यता के  अनुसार सुहागिन महिलाएं इस व्रत को रख कर अपने पति के दिर्घायु होने के लिए कामना करती हैं। इसलिए आज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए वक्त वृक्ष 

और यम देव की पूजा करती है। इस समूह में कुछ महिलाएं फलाहार का सेवन करती हैं, तो कुछ महिलाएं निर्जला उपवास ही रखती हैं। बट सावित्री पुजन में वट वृक्ष बरगद का पेड़ और सावित्री दोनों का विशेष महत्व है इस दिन महिलाएं सुबह स्नान कर नए वस्त्र और सोलह सिंगार से सज धज कर तैयार होती है इसके बाद बरगद के पेड़ के नीचे सामूहिक रूप से सभी सुहागिन महिलाएं एकत्रित होकर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए पूजा करती है। शास्त्रों के अनुसार वट में ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवों का वास होता है। बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजन व्रत कथा सुनने से मनोकामना पूर्ण होती है। वटवृक्ष अपनी लंबी आयु के लिए भी प्रसिद्ध है। इसलिए इस वृक्ष को अक्षय वट के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत के दौरान सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ों के नीचे बैठकर पूजन करने के पश्चात कच्चे धागे से (मौली सुत्र) 12 बार परिक्रमा कर पति की लंबी आयु के लिए पेड़ को बांधते हैं, और सुहागिन महिलाएं अपने पति चंदन तिलक लगाकर उसी बांस के पंखे से बड़े प्यार से हवा देकर व्रत तोड़ती है। फिर प्रसाद वितरण करते हुए खुद प्रसाद ग्रहण करतीं हैं। साथ ही पूजन समाप्ति के बाद दिनभर बरगद के पत्ते को अपने बालों में लगाकर रखती हैं।

सोनू गुप्ता,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।

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Editor - कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)

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