भारत में पूंजी आधारित जो चुनाव तंत्र विकसित हुआ है और अपराध आधारित जो पूंजी तंत्र खड़ा हुआ है, उसमें कोई भी दल अपनी सफ़ेद चादर के साथ नहीं रह सकता। किसी को भी पकड़ कर उसके ख़िलाफ़ कुछ मामले आसानी से बनाए जा सकते हैं। विपक्षी दल यह मज़ाक करते हैं कि बीजेपी के सारे नेता दूध से धुले हैं या फिर बीजेपी वह वाशिंग मशीन है जिसमें जाते ही सबके गुनाह धुल जाते हैं, लेकिन राष्ट्रवाद, देशभक्ति और हिंदुवादी नशे का जो मिक्स है, उसमें किसी को यह याद रखने की परवाह नहीं है।
मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी को देखा जाए तो उनकी चुनावी कामयाबियां वाकई हैरान करने वाली हैं। दो राज्यों में उनकी सरकार चल रही है। लेकिन आम आदमी पार्टी किन मुद्दों की राजनीति कर रही है? वह भी भ्रष्टाचार को लेकर आम भारतीय समाज में जो पाखंडपूर्ण भर्त्सना का रवैया है, उसका ही फ़ायदा उठा रही है। वह भी भावनात्मक मुद्दों का दोहन कर रही है, वह भी भारतीय समाज की हताशाओं को अपने पक्ष में मोड़ रही है। इसलिए कभी वह कांग्रेस की बी-टीम जान पड़ती है और कभी बीजेपी की। वह भी तीर्थयात्राओं और बड़े-बड़े आरोपों के खेल की राजनीति कर रही है।
- डॉ हेमन्त कुमार, गोराडीह,भागलपुर(बिहार)।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें