Rewari News : शामलात देह जमीन के मालिकाना हक मुद्दे पर बावल के किसानों ने नांगल तेजू बस स्टैंड पर पंचायत हुई


ग्राम समाचार न्यूज : रेवाड़ी : बावल के नांगल तेजू बस स्टैंड पर रविवार को महापंचायत का आयोजन किया गया। बावल क्षेत्र के अनेक गांवों के किसान इस पंचायत मे पहुंचे। पंचायत शामलात देह जमीन के मालिकाना हक, फसलों के 450 रुपये प्रति किवटल भावानतर भरपाई व बीमायुकत फसलो के मुद्दे पर हुई। पंचायत मे मुख्य वक्ता एडवोकेट राजेंद्र महलावत जी रहे। पंचायत का आयोजन एडवोकेट मुकेश रघुनाथपुरा व भारतीय किसान यूनियन के युवा नेता अतरसिह नेहरा ने किया वही पंचायत की अध्यक्षता बावल चोंरासी के प्रधान चौ. सुमेर सिंह जेलदार ने की। पंचायत का संचालन भारतीय किसान यूनियन के युवा जिलाध्यक्ष भाई नवीन सोहलोत ने किया। पंचायत को भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश महासचिव रामकिशन महलावत, जिला अध्यक्ष भजन लाल, ब्लाक प्रधान महेंद्र सिंह ककरावत व भारतीय किसान यूनियन के कदावर नेता अतरसिह नेहरा ने शामलात देह जमीन, फसलों के भावानतर ओर बीमायुकत फसलो के मुआवजे के मुदो पर किसानो की हर संभव लडाई लडने के लिए दल बल के साथ समर्थन दिया। पंचायत मे लोगो ने समस्याओं के समाधान तक पुरजोर लडाई लडने के लिए तन मन धन से सहयोग करने व जेल जाने पुलिस की लाठीया व गोली खाने की दृढ़संकल्पता भी दिखाई। इसी तरह पुरे जिले भर मे किसानों की पंचायते की जाएगी। वकताओ ने बताया शामलदेह जमीन किसानो की दादालाई जमीन है।किसानो सैकडो सालो से काश्तकार है। किसान 1887-1888 से लेकर पुर्व मुख्यमंत्री चोधरी बंसीलाल के कार्यकाल तक लगान भरते आये है। 1959 -1961  चकबंदी के तीन साल तक शामलात देह जमीन के खाते पडे रहे  सरकार। सरकार ने किसानों के नाम ये जमीन नही चढ़ाई ओर बाद मे ये जमीन पंचायतो के नाम चढा दी।  1953- 54 के पंजाब विलिज कामन लैंड एक्ट के नियम अपने आप में संपूर्ण कानून है। नियमो के अनुसार एक गांव 25 प्रतिशत अधिक जमीन शामलात देह जमीन नही हो सकती है लेकिन कई  गांवों आधी से भी ज्यादा जमीन शामलात देह जमीन है।  1991 के बाद पंजाब विलिज कामन लैंड एक्ट के सेक्शन 2 जी के आने से किसानों की शामलात देह जमीन सरकार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से पंचायतो के नाम करवा दी जो कि सरासर गलत है। 1991-92 मे जयसिंह बनाम हरियाणा सरकार मामले मे किसान जीते व सरकार हारी। लेकिन उस समय वर्तमान सरकार इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में ले गई ओर किसानो को हरवा दिया। इसलिए 1991 के बाद शामलात देह जमीन की रजिस्ट्री भी बंद हो गई। बाढ व अकाल का मिलने वाला मुआवजा भी बंद हो गया। ट्यूबवेल कनेक्शन भी बंद हो गये। ओर अब वर्तमान सरकार ने तो फसलो का रजिस्ट्रेशन भी बंद कर दिया। अब किसानों की सरकार से यही मांग है कि आने वाले समय में सरकार विधानसभा मे  नियमो मे एक विशेष संशोधन करके किसानों की शामलात देह जमीन का मालिकाना हक प्रदान करे। ओर साथ मे फसलो का 450 रुपये प्रति किवटल भावानतर भरपाई व बीमायुकत फसलो का मुआवजा देकर किसानों के साथ न्याय करे वरना आने वाले समय मे सम्बंधित अधिकारीयों व चुने हुए विधायकों व सासंद का पुरजोर विरोध किया जाएगा। इस मोक पर  परभुदयाल प्राणपुरा, हजारी चौहान नांगल तेजू, प्रताप पुर्व सरपंच नांगल उगरा, मुकेश पहलवान टीकला, अमरसिंह पुर्व सरपंच खीजूरी मांगे राम पनवाड , सुरत सिह, मीरसिह सरपंच खीजूरी रुडाराम रणसी माजरी, होशियार सिंह बीधावास, जीतराम झाबुआ,  रतिराम, किशनलाल व विजय सरपंच रघुनाथपुरा, महासिहं किशनपुर, विजय पहलवान मललूवास व अन्य गणमान्य लोग मोजूद रहे।

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Editor - राजेश शर्मा : रेवाड़ी (हरि.) - 9813263002

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